पीरटांड़ में भाजपाईयों ने मनाया हूल दिवस, ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले वीर शहीदों को दी श्रद्धांजली
1855 में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संथाल की धरती से ही आंदोलन को लेकर किया गया था आवाज बूलंद: शाहाबादी
गिरिडीह। पीरटांड़ प्रखंड के चिरकी पंचायत के मांझीडीह में रविवार को भाजपा के द्वारा हूल दिवस मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पीरटांड़ प्रखंड के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रखंड अध्यक्ष सुनील सोरेन ने किया। जबकि संचालन प्रखंड उपाध्यक्ष शमशाद आलम ने किया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित गिरिडीह सदर के निवर्तमान विधायक निर्भय कुमार शाहावादी, विशिष्ठ अतिथि प्रदेश कार्यसमिति सदस्य चुन्नूकांत, विनय सिंह, अरविंद चंद्र राय, बबलू साव, महेश राम, दीपक स्वर्णकार, बीरेंद्र वर्मा, अशोक सिंह, रेखा देवी, अंजू टुड्डू, बुधन सोरेन, वसंत सिंह, अभय सिंह, मोतीलाल टुड्डू, दरवारी मुर्मू, वासुदेव राम, बबलू मरांडी, प्रीतम मुर्मू, सुरेश सोरेन, रवि लाल मुर्मू सहित काफी संख्या में कार्यकर्ता शामिल हुए और सिद्धू कान्हो, चांद भैरव, फूल झानो की तस्वीर पर माल्यार्पण करते हुए नमन किया।
मौके पर पूर्व विधायक निर्भय कुमार शाहाबादी ने वीर अमर शहीदों को नमन करते हुए कहा कि जो आज हम हुल दिवस को मना रहे है इसका उदगम इसी झारखंड के भोगनाडीह से आरम्भ हुआ था। कहा कि आजादी की लड़ाई का पहला बिगुल 1857 में फूंका गया था, लेकिन उससे पहले 1855 में अंग्रेजो के विरुद्ध इसी धरती के संथाल क्षेत्र में व्यवस्था के विरूद्ध वसूले जाने वाले लगान के विरोध करने हेतु पूरे देश से लगभग 50 हजार की संख्या में आदिवासी का जुटान हुआ था और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद किया था। आदिवासी समुदाय के लोगो ने हूल का आह्वाहन किया और अंग्रेजो से आजादी लेने में लगभग 20 हजार आदिवासियों ने अपने प्राणों की आहुति दी। इस आंदोलन के नेतृत्व कर्ता सिद्धू कान्हो, चांद भैरव, फूल झानो थे। जिन्होंने हुल को पूरी ताकत से ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ने का काम किया।
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