महिला सशक्तिकरण की मिसाल हैं वन्दे भारत ट्रेन की सारथी बोकारो की ऋतिका तिर्की
सहायक लोकोपायलट के रूप में नौकरी शुरू करने वाली ऋतिका तिर्की अब वन्दे भारत ट्रेन को चलाने की महती ज़िम्मेदारी निभा रही हैं। झारखण्ड के बोकारो की रहने वाली ऋतिका ने ये उपलब्धि हासिल कर प्रदेश का नाम बढ़ाया है और साथ ही महिला सशक्तिकरण की दिशा में चल रहे प्रयासों को एक नया हौसला, नई उड़ान दी है।
टाटानगर-पटना वंदे भारत ट्रेन को चलाने वाली सहायक महिला लोको पायलट ऋतिका का कहना है कि स्वदेश में निर्मित इस अत्याधुनिक ट्रेन को चलाने का अवसर मिलना बहुत ही सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि वे इस वंदे भारत ट्रेन को चलाकर स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रही हैं। देखा जाए तो एक तरह से वंदे भारत ट्रेन देश में एवं भारतीय रेल में महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बनकर उभरी है।
झारखंड की रहने वाली ऋतिका का कहना है कि वह एक साधारण परिवार से आती हैं। परिवार में कुल चार भाई-बहन हैं। उनकी स्कूली शिक्षा रांची से हुई है और 12वीं के बाद उन्होंने बीआईटी मेसरा, रांची से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। उसके बाद वर्ष 2019 में उन्होंने भारतीय रेल के धनबाद डिवीजन में असिस्टेंट लोको पायलट के रूप में नौकरी शुरू की। रेलवे में उनकी पहली पोस्टिंग चंद्रपुर, बोकारो में हुई थी। वर्ष 2021 में ऋतिका का ट्रांसफर टाटानगर हो गया और 2024 में उन्हें सीनियर असिस्टेंट लोको पायलट के पद पर प्रोन्नत किया गया।
ऋतिका ने रेलवे में अपनी नौकरी के बारे में बताते हुए कहा कि जब उन्होंने सहायक लोकोपायलट के रूप में नौकरी शुरू की थी, तब थोड़ा डर लगता था कि ट्रेन चला पाऊंगी या नहीं, लेकिन धीरे-धीरे यह डर समाप्त होता गया। उन्होंने कहा कि अब उन्हें ट्रेन चलाने में बहुत अच्छा लगता है। ऋतिका यात्री ट्रेन और मालगाड़ी दोनों ही चलाती हैं, उन्होंने कहा कि ट्रेन चलाने के दौरान अलग-अलग शहरों में जाना काफी रोमांचक लगता है और उन्हें अपने कार्य के दौरान काफी खुशी महसूस होती है।
रेलवे में सहायक लोको पायलट के रूप में ऋतिका अपनी जिम्मेदारियों से बेहद खुश हैं। उन्होंने बताया कि ट्रेन चलाने से दो घंटे पहले कॉल बुक दिया जाता है और ड्यूटी पूरी होने के बाद 16 घंटे का आराम दिया जाता है। उन्होंने कहा कि समय के साथ-साथ रेलवे में लोको पायलट की मिलने वाली सुविधाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। रेलवे में महिला लोको पायलट के लिए अलग से रनिंग रूम की व्यवस्था की जाती है और वरिष्ठ अधिकारियों का भरपूर सहयोग मिलता है।
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