Nav Bihan
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आदिवासी की जमीन हड़प कर करोड़ों में खेल रहे भू-माफिया, धोखाधडी का शिकार हो रहे लोग

जमीन बचाने और न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा आदिवासी परिवार, गांव में ही प्रदर्शन कर लगाई न्याय की गुहार

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रांची : आदिवासी हित की बात करने का दंभ भरने वाली सरकार में आदिवासियों की ज़मीन हड़प कर करोड़ों के वारे – न्यारे का एक और मामला सामने आया है। ये सनसनीखेज़ मामला सरकार की ठीक नाक के नीचे का ही, यानि रांची का ही है।

रांची जिले के पिठौरिया थाना क्षेत्र में आदिवासियों (सीएनटी) की जमीन कब्जा कर उसे सामान्य बताकर बेचा जा रहा है। आदिवासियों की ज़मीन का फर्जीवाड़ा कर उसे बेचने वाले भू-माफिया जहां करोड़ों में खेल रहे हैं, वहीं जिनकी जमीन जाली दस्तावेज बनाकर हड़पी गई, वह आदिवासी मुंडा परिवार अपनी जमीन बचाने तथा न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है।

मामला पिठौरिया थाना के समीप पिरुटोला निवासी गणेश मुंडा व उसके परिजनों से जुड़ा है। गुरूवार को एक बार फिर से मजबूर आदिवासी मुंडा परिवार के लोगों ने अपने ही गांव में प्रदर्शन कर जिला पुलिस प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई गई है। परिवार के मुखिया गणेश मुंडा ने इस बाबत उपायुक्त रांची सहित पुलिस के आला अधिकारियों के नाम आवेदन भी लिखा है। आवेदन में लिखी गई बातों और ज़मीन हड़पने के आरोपों के अनुसार यह मामला बड़ा ही सनसनीखेज और गंभीर है।

आदिवासी की जमीन हड़प कर करोड़ों में खेल रहे भू-माफिया, धोखाधडी का शिकार हो रहे लोग

गणेश मुंडा ने इस बाबत बताया कि कांके अंचल एवं पिठौरिया थाना क्षेत्र अंतर्गत सूतियाम्बे मौजा में उनके पूर्वज देवनाथ मुंडा और शनिचरवा मुंडा के नाम से आदिवासी खतियानी जमीन को मनीष कुमार कश्यप नामक एक व्यक्ति ने कागजात में फर्जीवाड़ा कर हड़प लिया है। मनीष कश्यप का दावा है कि उसने जितेंद्र महतो से जमीन खरीदने का दावा किया है और जितेंद्र महतो उक्त जमीन को नारायण महतो से खरीदी गई बताता है। इसके पूर्व नारायण महतो इस जमीन को सन 1942 में राजा से हुकुमनामा से हासिल बताते हैं। मामला यहीं आकर संदेहास्पद और विवादित हो जाता है।

आदिवासी की जमीन हड़प कर करोड़ों में खेल रहे भू-माफिया, धोखाधडी का शिकार हो रहे लोग

हुकुमनामा की तारीख और नारायण महतो से जुड़े अन्य सरकारी दस्तावेजों पर गौर करें तो हुकुमनामा के समय नारायण महतो की उम्र महज 2-3 साल के आसपास की ही दिखती है। बड़ा सवाल यह है कि, इतनी छोटी उम्र में नियमतः उसे राजा से हुकुमनामा मिला कैसे.? गणेश मुंडा ने अपने आवेदन में यह भी लिखा है कि, उसके पूर्वज द्वारा इस जमीन को राजा के पास इस्तीफा देने की बात भी सरासर गलत तथा इसे लेकर दिखाया जा रहा कागज भी फर्जी है। इस फर्जीवाड़ा को लेकर गणेश मुंडा के द्वारा आवेदन में कई तथ्य भी पेश किये गए हैं। बावजूद इसके इस मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है

गौरतलब है कि, मनीष कुमार कश्यप पर गणेश मुंडा ने उसकी जमीन के आसपास करीब 52 एकड़ जमीन को पूर्णतः सीएनटी फ्री बताकर हाईटेक सिटी वनांचल इंफ्राटेक निर्माण कर उसमे प्लॉट देने के नाम पर सैकड़ों ग्राहकों से कई करोड़ रुपया हड़प लेने का भी आरोप लगाया है। आरोप है कि, मनीष कुमार कश्यप द्वारा ठगे गए ऐसे लोग आए दिन जमीन पर आते रहते हैं। झारखण्ड के कई जिलों के लोग वनांचल इन्फ्राटेक के नाम पर हुई कथित धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं और विभिन्न अदालतों में मामले भी लंबित हैं. इसके बावजूद अब एक बार फिर आदिवासी की ज़मीन को हडपने का ये नया मामला सामने आया है।

बहरहाल आज प्रदर्शन के बाद गणेश मुंडा ने कहा कि, जब भी वे जमीन पर जाते हैं, मनीष कश्यप के आदमी उसे दुत्कार कर और डरा धमकाकर भगा देते हैं। लेकिन वे अपनी जमीन छोड़ने वाले नहीं। न्याय नहीं मिला तो परिवार के लोगों के साथ थाना के सामने धरना पर बैठ जाएंगे। बाहरी भू माफिया का शोषण नहीं सहेंगे, गांव के लोग भी उनके साथ हैं।

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