78 वर्षों की स्वतंत्रता और बाल विवाह की विडम्बना
हमारे देश को स्वतंत्र हुए 78 वर्ष हो चुके हैं। इस अवधि में हमने विज्ञान, तकनीक, अर्थव्यवस्था और वैश्विक पहचान में उल्लेखनीय प्रगति की है। फिर भी, यह कटु सच्चाई है कि आज भी बाल विवाह जैसी कुप्रथा हमारे समाज में जीवित है।


ऋतेश चंद्र


हमारे देश को स्वतंत्र हुए 78 वर्ष हो चुके हैं। इस अवधि में हमने विज्ञान, तकनीक, अर्थव्यवस्था और वैश्विक पहचान में उल्लेखनीय प्रगति की है। फिर भी, यह कटु सच्चाई है कि आज भी बाल विवाह जैसी कुप्रथा हमारे समाज में जीवित है।
बाल विवाह कोई महज़ परंपरा नहीं, बल्कि एकीकृत अपराध है, जिसमें निम्न अपराध एक साथ छिपे होते हैं:
- घरेलू हिंसा
- बाल शोषण
- शिक्षा से वंचित करना
- शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा
- थोपा गया अघोषित मानसिक बोझ जो बालिका के आत्मविश्वास और स्वावलंबन को नष्ट कर देता है।
कानून में बाल विवाह को दंडनीय अपराध घोषित किया गया है। दोषियों को कारावास और आर्थिक दंड दोनों का प्रावधान है। ऐसे दंड इसलिए जरूरी हैं ताकि समाज में कानून का भय उत्पन्न हो, क्योंकि संत कवि तुलसीदास जी ने कहा है— “भय बिनु होहिं न प्रीति।” अर्थात जहाँ कानून और अनुशासन का भय नहीं होता, वहाँ समाज में नैतिकता और सम्मान का अस्तित्व नहीं टिक पाता। बाल विवाह के संदर्भ में यह उक्ति हमें बताती है कि केवल समझाने से नहीं, बल्कि कठोर और निष्पक्ष दंड से ही इस अपराध पर रोक संभव है।
सुधारात्मक सुझाव
- त्वरित न्यायालय (फास्ट ट्रैक कोर्ट) में सुनवाई
बाल विवाह के सभी मामलों की सुनवाई विशेष त्वरित न्यायालय में हो, ताकि निर्णय शीघ्र हो और पीड़िता को न्याय में देरी न हो।
- ग्राम स्तरीय बाल संरक्षण समिति (वी.एल.पी.सी.) में सटीक निबंधन
14 वर्ष से ऊपर की सभी अविवाहित बालिकाओं का स्थानीय ग्राम स्तरीय बाल संरक्षण समिति में निबंधन अनिवार्य हो।
- विवाह निबंधन और प्रमाणपत्र
विवाह का प्रबंधित प्रमाणपत्र विवाह सम्पन्न होते ही बाल विवाह रोकथाम अधिकारी (सी.एम.पी.ओ.एस.) द्वारा दिया जाए।
एक प्रति बाल विवाह रोकथाम अधिकारी जिला निबंधक को भेजे, ताकि मूल प्रमाणपत्र निर्गत हो सके और नवविवाहित दंपति के राशन, आधार और मतदाता पते में बदलाव में सुविधा मिले।
- हितधारकों के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र अनिवार्य
किसी भी विवाह में शामिल सभी हितधारक, जैसे पंडित, विवाह स्थल संचालक, सजावट एजेंसी आदि, बाल विवाह रोकथाम अधिकारी से अनापत्ति प्रमाणपत्र लें।
उल्लंघन पर ₹5,000 से ₹50,000 तक का आर्थिक दंड लगे।
- मुक्त बालिका के लिए शिक्षा और कौशल विकास
बाल विवाह से मुक्त हुई बालिकाओं के लिए सम्मानजनक शिक्षा या योग्यतापूर्ण कौशल प्रशिक्षण की व्यवस्था हो।
- आयु पूर्ण होने पर सरकारी लाभ
ऐसी बालिकाओं को, उम्र पूरी होने पर, सरकार द्वारा दिए जाने वाले वे सभी लाभ मिलें जो अंतरजातीय विवाह में दिए जाते हैं।
78 वर्षों की स्वतंत्रता के बाद भी यदि हमारी बच्चियाँ भय, अन्याय और बंधनों में जीने को विवश हैं, तो यह हमारी सामूहिक असफलता है।
सच्ची स्वतंत्रता तभी होगी, जब हर बालिका भय-मुक्त होकर शिक्षा पाए, अपने सपनों को गढ़े, और कानून की ठोस सुरक्षा में अपना भविष्य सँवारे।
लेखक परिचय – इस आलेख के लेखक श्री ऋतेश चन्द्र बाल कल्याण समिति, जामतारा के पूर्व अध्यक्ष हैं. समाज सेवा के क्षेत्र में इनका वर्षों का अनुभव है और ख़ास तौर पर बाल अधिकार और बाल कल्याण के लिए इन्होंने काफी कार्य किया है.

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