थमा अटकलबाजियों का दौर, गिरिडीह से आजसू के चंद्रप्रकाश चौधरी होंगे एनडीए प्रत्याशी
भाजपा के लिए अपने वोटर्स को समझाने की चुनौती, आसान नहीं हैं चंद्रप्रकाश की राहें
गिरिडीह : गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र में एनडीए प्रत्याशी को लेकर चला आ रहा सस्पेंस आखिरकार समाप्त हुआ. आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने रांची स्थित अपने पार्टी कार्यालय में एक प्रेस कांफ्रेंस कर गिरिडीह सीट से लोकसभा उम्मीदवार के तौर पर वर्तमान सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी के नाम पर एक बार फिर मुहर लगा दी है. यानि चंद्रप्रकाश चौधरी गिरिडीह से एनडीए प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडेंगे. बहुत संभव है कि इंडी गठबंधन भी आज ही अपने प्रत्याशी की औपचारिक घोषणा कर दे. हालांकि ये तय माना जा रहा है कि गिरिडीह से झामुमो के मथुरा महतो ही प्रत्याशी होंगे.
अब से थोड़ी देर पहले ही चंद्रप्रकाश चौधरी के नाम का ऐलान होते ही यहाँ अटकलबाजियों का दौर थम गया है. चंद्रप्रकाश गिरिडीह के वर्तमान सांसद भी हैं. पिछ्ला चुनाव उन्होंने आसानी से जीता था और तब भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपने वोटर्स को समझाया था – “केला ही कमल है”. भाजपा कार्यकर्ताओं की मेहनत सफल भी हुई और रामगढ़ से गिरिडीह आये चंद्रप्रकाश यहाँ के सांसद भी बन गए.
पर इस बार चंद्रप्रकाश की राहें उतनी आसान भी नहीं हैं. अपने कार्यकाल के दौरान गिरिडीह के लोगों से उनकी दूरी उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है. गिरिडीह में एक धडा ऐसा भी है, जो चंद्रप्रकाश चौधरी से असन्तुष्ट है. इसके कई कारण हो सकते हैं, पर भाजपा के कार्यकर्ताओं को तवज्जो नहीं मिलना इसकी प्रमुख वज़ह हो सकती है. इस बार भाजपा के नेता और कार्यकर्ता चाहते थे कि गिरिडीह की सीट उनके खाते में जाए, गठबंधन की अपनी मजबूरियां होती हैं और गिरिडीह सीट आजसू को देकर भाजपा ने गठबंधन धर्म तो निभाया ही है, साथ ही एक तीर से कई निशाने भी साधे हैं. कैसे, ये हम आपको अपने अगले अंक में बतायेंगे और साथ ही ये भी बताने का प्रयास करेंगे कि क्या भाजपा के लोग दिल से चंद्रप्रकाश चौधरी का साथ देंगे ? क्या एक बार फिर “केला ही कमल है” का नारा चलेगा या कमल की नाराज़गी केला को रुसवा कर देगी, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.