गुरु तेग बहादर सिमरै घर नउ निध आवे धाय… हिंद की चादर कहे जाने वाले श्री गुरू तेग बहादर साहेब का श्रद्धापूर्वक मनाया गया 350 वां शताब्दी शहीदी दिवस
आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद, सेवा भारती समेत कई संस्थाओं से जुड़े लोग हुए शामिल,

गिरिडीह। हिन्द की चादर कहे जाने वाले सिखों के 9वें गुरू धन धन श्री गुरू तेग बहादर जी का 350वां शताब्दी शहीदी दिवस दिवस रविवार को स्टेशन रोड स्थित प्रधान गुरूद्वारा में मनाया गया। इस मौके पर गुरूद्वारा गुरु सिंघ सभा प्रबंधन कमिटी के द्वारा आयोजित कार्यक्रम के दौरान गुरूद्वारा के मुख्य ग्रंथी भाई सतनाम सिंह के द्वारा शबद-कीर्तन प्रस्तुत किया गया। उन्होंने गुरु तेग बहादर सिमरै घर नउ निध आवे धाय…” शीश दिया पर सी.. न ऊंचरी समेत कई शबद-कीर्तन प्रस्तुत किए और उनकी जीवनी पर प्रकाश डाला गया। जिसे सुनकर सात संगत की आंखे नम हो गई। शहीदी दिवस को लेकर बीते 8 नवंबर से चल रहे सहज पाठ का समापन भी रविवार को हो गया
मौके पर गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के मुख्य प्रधान सेवक गुणवंत सिंह मोंगिया ने कहा कि जब धर्म के नाम पर मर मिटने की बात आती है तो सिख समुदाय का नाम हमेशा ही सम्मान के साथ लिया जाता है। सिखों के नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर ऐसे ही एक विलक्षण प्रतिभा के धनी थे जिन्होंने हिंदू धर्म के सम्मान को बरकरार रखने के लिए अपनी जान की भी परवाह नहीं की। हिंदू धर्म की रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुर ने हंसते हंसते बलिदान दे दिया किंतु हिंदू धर्म को झुकने नहीं दिया। वे भारत और भारतीयता अर्थात हिंदुत्व की रक्षा के लिए सदैव स्मरण किए जाएंगे। कहा की गुरु तेग बहादुर को हिंद की चादर कहा जाता है। कहां की जब औरंगज़ेब ने कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार कर रहे थे तो उन्होंने गुरु तेग बहादुर जी से गुहार लगाई। इस पर गुरु ने धर्म की रक्षा के लिए और कश्मीरो पंडितों को बचाने के लिए अपना शीश न्योछावर कर दिया।


कार्यक्रम में उपस्थित आरएसएस के धर्मवीर सिंह ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी और उनके पुत्र गुरु गोबिंद सिंह जी और उनके चारों पोते यानि चारों साहिबजादे और उनके परिवार की जीवनी को विद्यालय महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं के बीच भी जानकारी देनी चाहिए । कहा कि इस बार आरएसएस ने संकल्प लिया है कि वह घर-घर तक जाकर शहीदों की शहीदी के बारे में जानकारी देंगे।
मौके पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सचिव नरेंद्र सिंह सलूजा उर्फ सम्मी, पूर्व प्रधान अमरजीत सिंह सलूजा, कुंवरजीत सिंह, चरणजीत सिंह सलुजा, राजेंद्र सिंह सरबजीत सिंह, कुशल सलूजा, गुरविंदर सिंह सलूजा, नवजोत सिंह, त्रिलोचन सिंह सलूजा, परमजीत सिंह कालू, बलजीत सिंह सलूजा, भूपेंद्र सिंह दुआ, अमनदीप सिंह, रॉबी चावला, हरमिंदर सिंह, डिंपी खालसा के अलावे आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद, सेवा भारती समेत कई संस्थानों से जुड़े लोगों ने शिरकत की और शब्द कीर्तन के साथ साथ लंगर में शामिल हुए।
