कबीर ज्ञान मंदिर श्रद्धाभाव से मनाया गया सद्गुरु कबीर आविर्भाव महोत्सव
अनुष्ठान के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम का हुआ आयोजन, जिसने कबीर तत्व को पहचाना, वह उसी में हुआ विलीन: मां ज्ञान


गिरिडीह। श्री कबीर ज्ञान मंदिर के प्रांगण में बुधवार को सद्गुरु कबीर साहब की 627वीं जयंती सह आविर्भाव महोत्सव का आयोजन किया गया। महोत्सव में झारखंड के विभिन्न जिलों के अलावे कई राज्यों से हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। अनुष्ठान की शुरूआत बुधवार की सुबह सद्गुरु कबीर साहब कृत बीजक के सस्वर पाठ व यज्ञ हवन से की गई। सद्गुरु मां के सानिध्य में श्रद्धालुओं ने सद्गुरु कबीर बीजक के मंत्रोच्चार से वैदिक यज्ञ किया।

इस दौरान लोक प्राकट्य महोत्सव मनाया गया, जिसमें सदगुरु कबीर साहब के वाराणसी के लहरतारा सरोवर में कमल पुष्प पर अवतरण की आलौकिक घटना को बहुत ही जीवंत रूप से प्रस्तुत की गई। तत्पश्चात नन्हे मुन्हें बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति की गई। वहीं दोपहर बाद नाट्य मंचन, बाल्य प्रस्तुति, तथा संतों भक्तों के उद्बोधन एवं भजन संध्या का आयोजन किया गया, कबीर के सुमधुर भजनों से वातावरण गुंजायमान हो गया। मौके पर सदगुर मां द्वारा सदगुरु कबीर साहब साखी दर्पण भाग २ का विमोचन किया गया।
इस मौके पर सद्गुरु मां ने महोत्सव को संबोधित करते हुआ कहा कि कबीर की वाणी खालिस अमृत है। यह समस्त मानव समाज के लिए संजीवनी बूटी है। परमात्मा की ओर से अखिल मानवता को दिया गया यह अमृतोपम उपहार है। इसे अपना कर मानव जहां परम सुखी हो जाता है, वहीं संसार स्वर्ग और सुखद बन जाता है।
कहा कि कबीर साहब कोई पंथ प्रचारक नहीं थे। वे युगों से सोए मानव को झकझोर कर जगाने आए थे। वे शास्त्रों की नहीं अनुभव की बात बोले। वे आडंबर, पाखंड, और कुरीतियों से मानव समाज को उपर उठाकर सच्चे धर्म का पाठ पढ़ाए। उन्होंने ढाई आखर प्रेम का संदेश दिया। कबीर का जन्म, जीवन और निर्वाण तीनों दिव्य है।
सदगुरु मां ने कहा कि भारत भूमि में बहुतायत संत हुए है लेकिन सदगुरु कबीर सबों में विलक्षण हैं। सभी समकालीन संतों ने सद्गुरु कबीर की महिमा का गान किया है। कहा कि जिसने कबीर तत्व को पहचान लिया, वह उसी में विलीन हो गया। उसे न माया डगमगा सकती है, और न ही मृत्यु डरा सकती है, न काल छल सकता है।

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