गढ़वा में बड़ा हादसा: निर्माणाधीन सेप्टिक टैंक में दम घुटने से चार लोगों की मौत, तीन सगे भाई शामिल
गढ़वा जिला मुख्यालय से सटे नवादा गांव में शुक्रवार सुबह एक दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया। सेप्टिक टैंक में दम घुटने से चार लोगों की मौत हो गई, जिनमें एक ही परिवार के तीन सगे भाई शामिल हैं। यह हादसा उस समय हुआ जब घर में निर्माणाधीन सेप्टिक टैंक की जांच के लिए एक-एक कर चार लोग नीचे उतरे, लेकिन कोई भी जीवित बाहर नहीं आ सका।


नव बिहान डेस्क : गढ़वा जिला मुख्यालय से सटे नवादा गांव में शुक्रवार सुबह एक दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया। सेप्टिक टैंक में दम घुटने से चार लोगों की मौत हो गई, जिनमें एक ही परिवार के तीन सगे भाई शामिल हैं। यह हादसा उस समय हुआ जब घर में निर्माणाधीन सेप्टिक टैंक की जांच के लिए एक-एक कर चार लोग नीचे उतरे, लेकिन कोई भी जीवित बाहर नहीं आ सका।
मौत का कुआं बना सेप्टिक टैंक


प्राप्त जानकारी के अनुसार, नवादा गांव निवासी राजू शेखर चौधरी के घर का निर्माण कार्य चल रहा था। शुक्रवार सुबह सेप्टिक टैंक का ढक्कन हटाकर उसकी सेंट्रिंग खोली जा रही थी। सबसे पहले गांव के मल्टू राम टैंक में उतरे, लेकिन देर तक बाहर न निकलने पर राजू शेखर चौधरी भी अंदर गए। इसके बाद उनके दो भाई अजय चौधरी (50) और चंद्रशेखर चौधरी (42) भी एक-एक कर टैंक में उतर गए। चारों के न लौटने पर गांव में हड़कंप मच गया।
ग्रामीणों ने मिलकर निकाले शव
स्थानीय ग्रामीणों ने जब देखा कि चारों लोग बाहर नहीं आ रहे हैं, तो शोर मचाकर अन्य लोगों को बुलाया गया। ग्रामीणों की मदद से कड़ी मशक्कत के बाद सभी को बाहर निकाला गया और तत्काल गढ़वा सदर अस्पताल पहुंचाया गया। अस्पताल में डॉक्टरों ने चारों को मृत घोषित कर दिया। घटना की सूचना पर एसडीओ संजय कुमार, एसडीपीओ नीरज कुमार और थाना प्रभारी बृज कुमार पुलिस बल के साथ अस्पताल पहुंचे।
जहरीली गैस से दम घुटने की आशंका
ग्रामीणों और पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि सेप्टिक टैंक में जहरीली गैस भर जाने के कारण चारों की मौत दम घुटने से हुई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट कारणों की पुष्टि हो सकेगी। फिलहाल पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर मामले की जांच शुरू कर दी है।
गांव में मातम, परिजनों का बुरा हाल
एक ही परिवार के तीन बेटों की एक साथ मौत से गांव में मातम पसर गया है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। यह घटना एक बार फिर इस बात की चेतावनी देती है कि बिना सुरक्षा उपायों के बंद टैंक, कुएं या गड्ढों में उतरना कितना खतरनाक हो सकता है।

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