Nav Bihan
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भारत का परचम अंतरिक्ष में, शुभांशु शुक्ला के Axiom-4 मिशन ने भरी उड़ान

ऐतिहासिक क्षण: पहली बार कोई भारतीय पहुंचेगा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन

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नव बिहान डेस्क : भारत ने अंतरिक्ष की दुनिया में एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ दिया है। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला के नेतृत्व में Axiom-4 मिशन ने फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से SpaceX के फाल्कन 9 रॉकेट के साथ सफलतापूर्वक उड़ान भरी। यह रॉकेट, अपने नोज में SpaceX के ड्रैगन अंतरिक्ष यान को लेकर, 28 घंटे की यात्रा पर निकल चुका है, जो गुरुवार, 26 जून 2025 को शाम 4:30 बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर डॉक करेगा।

यह मिशन भारत के लिए गर्व का पल है, क्योंकि पहली बार कोई भारतीय ISS तक पहुंचेगा। साथ ही, 1984 में राकेश शर्मा के बाद शुभांशु दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री बन गए हैं, जो अंतरिक्ष की सैर करेंगे।

मिशन की खासियतें

लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से उड़ान भरने वाले इस मिशन में चार अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं। शुभांशु शुक्ला, जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, मिशन के पायलट हैं। मिशन की कमांडर हैं नासा की अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन, जो अमेरिका की सबसे ज्यादा अंतरिक्ष मिशन का अनुभव रखती हैं। उनके साथ पोलैंड के यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) के स्लावोज उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू मिशन स्पेशलिस्ट के रूप में शामिल हैं। यह मिशन भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए मानव अंतरिक्ष उड़ान में लंबे अंतराल के बाद वापसी का प्रतीक है।

भारत के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि

शुभांशु शुक्ला का यह मिशन न केवल भारत की तकनीकी क्षमता को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान में देश की बढ़ती भागीदारी को भी रेखांकित करता है। इसरो के इस कदम ने भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

Axiom-4 मिशन ISS पर विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग करेगा, जो मानवता के लिए अंतरिक्ष अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान देगा। यह मिशन भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा है और देश के अंतरिक्ष सपनों को नई उड़ान देगा।

शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम ने न केवल अंतरिक्ष में भारत का झंडा गाड़ा, बल्कि हर भारतीय के दिल में गर्व और उम्मीद का नया सूरज उगाया है। यह मिशन भारत के उज्ज्वल भविष्य और वैश्विक मंच पर उसकी मजबूत उपस्थिति का प्रतीक है।

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