Nav Bihan
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सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के खराब रिजल्ट पर हेमंत सरकार सख्त, सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस पचम्बा सहित राज्य भर के 19 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस

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रांची, 31 मई – झारखंड में मुख्यमंत्री स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की छवि को बड़ा झटका लगा है। हाल ही में घोषित सीबीएसई 10वीं बोर्ड परीक्षा में खराब प्रदर्शन करने वाले 19 सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस को राज्य सरकार ने कारण बताओ नोटिस (शोकॉज) जारी किया है। स्कूलों को एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा गया है, अन्यथा संबंधित प्रधानाचार्यों पर विभागीय और अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

 

शिक्षा गुणवत्ता सुधार की मंशा पर उठे सवाल

राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की शुरुआत की गई थी। इन स्कूलों में डिजिटल क्लासरूम, स्मार्ट बोर्ड, आधुनिक लाइब्रेरी और विज्ञान प्रयोगशालाएं जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थीं। सरकार की मंशा थी कि ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के विद्यार्थियों को भी उच्चस्तरीय शिक्षा मिल सके।

लेकिन शिक्षा विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इन स्कूलों में से कई का 10वीं परीक्षा में कुल सफलता प्रतिशत 60% से भी नीचे रहा। इससे सरकार की योजनाओं पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।

शिथिलता और लापरवाही का नतीजा: परियोजना निदेशक

झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के निदेशक शशि रंजन ने बताया कि “इन स्कूलों को समय-समय पर निर्देश दिए गए थे कि मॉडल टेस्ट और रेमेडियल क्लासेस का नियमित संचालन करें, लेकिन परिणाम से प्रतीत होता है कि इन निर्देशों का पालन नहीं किया गया। यह स्कूल प्रबंधन की शिथिलता और लापरवाही का नतीजा है।”

उन्होंने यह भी कहा कि जिन स्कूलों से स्पष्टीकरण मांगा गया है, यदि वे संतोषजनक जवाब नहीं देते हैं तो उनके प्रधानाचार्यों के खिलाफ सरकारी सेवक नियमावली के तहत कार्रवाई की जाएगी।

नोटिस प्राप्त स्कूलों की सूची में ये नाम शामिल

नोटिस पाने वाले 19 स्कूलों में गिरिडीह, सरायकेला, खूंटी, दुमका, जामताड़ा, गढ़वा, साहिबगंज, गोड्डा सहित कई जिलों के स्कूल शामिल हैं। इनमें पंचबा, गिरिडीह, झुमरी तिलैया, सिमरिया, सुंदरपहाड़ी जैसे विद्यालय भी हैं, जिन्हें मॉडल स्कूलों की श्रेणी में रखा गया था।

शिक्षकों की कमी बनी बड़ी चुनौती

हालांकि कई बार शिकायतें आई हैं कि इन स्कूलों में शिक्षकों की पर्याप्त नियुक्ति नहीं हो सकी है। विशेषज्ञों का मानना है कि केवल तकनीकी संसाधनों से शिक्षा की गुणवत्ता नहीं सुधर सकती, जब तक कि मानव संसाधन और प्रशिक्षण पर समान रूप से ध्यान न दिया जाए।

इस मामले पर सीओई पचम्बा के प्रधानाचार्य केशव कुमार ने कहा कि भले ही हमारे स्कूल का ओवरऑल प्रेसेंटेज 60 से कम है लेकिन हमारे स्कूल के ही तीन छात्र राज्य स्तर पर टॉप 10 में शामिल है जिनका परसेंटेज 90 प्रतिशत से अधिक है। हम समीक्षा कर रहे हैं और अगर सरकार ने जवाब मांगा है तो हम स्पष्टीकरण देंगे।

हालांकि सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की इस विफलता ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। सरकार की सख्ती इस बात का संकेत है कि शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर अब लापरवाही नहीं चलेगी। हालांकि, दीर्घकालिक सुधार के लिए नीतिगत बदलाव और शिक्षकों की पर्याप्त नियुक्ति भी उतनी ही आवश्यक है।

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