प्रधान गुरुद्वारे में हर्षोल्लास से मनाया गया गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश पर्व
गुरुद्वारे में हुआ भजन कीर्तन व लंगर का आयोजन, सदर विधायक सहित कई गणमान्य लोग हुए शामिल
गिरिडीह। गुरु ग्रंथ साहिब का पहला प्रकाश पर्व स्टेशन रोड स्थित गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा में रविवार को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान गुरु ग्रंथ साहिब और गुरुद्वारे को काफी आकर्षक तरीके से सजाया गया था। गुरुद्वारे का नया लुक काफी आकर्षक देखने में लग रहा था। गुरु ग्रंथ साहिब के प्रकाश पर्व को लेकर बीते शुक्रवार को अखंड पाठ का आयोजन किया गया था। जिसका समापन रविवार को हुआ। स्थानीय रागी जत्था भाई हरप्रीत सिंह के द्वारा भजन कीर्तन किया गया। भाई हरप्रीत सिंह ने “बाणी गुरु, गुरु है बाणी-विच बाणी अमृत सारे…” समेत कई कीर्तन प्रस्तुत किए जिसे सुनकर सात संगत निहाल हो गई। मौके पर गुरुद्वारे में लंगर का आयोजन किया गया जिसमें काफी संख्या श्रद्धालुओं ने लंगर किया। लंगर की सेवा सरदार हरजीत सिंह (सतगुरु कलेक्शन) की ओर से की गई थी।
विधायक सुदिव्य कुमार सोनू भी गुरुद्वारा पहुंचे और गुरुग्रंथ साहिब के समक्ष मत्था टेका। इस दौरान विधायक श्री सोनू को गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के वरीय उपाध्यक्ष चरणजीत सिंह सलूजा ने सिरोपा देकर सम्मानित किया। विधायक ने कहा कि गिरिडीह का सिक्ख समाज हमेशा ही सामाजिक कार्यों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेता है। उन्होंने गुरुद्वारे के लिए रोटी बनाने वाली मशीन देने की घोषणा की।
गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा के पूर्व प्रधान अमरजीत सिंह सलूजा ने बताया कि गुरु ग्रंथ साहिब का संपादन सिख समुदाय के पांचवें गुरु श्री गुरु अर्जुन देव जी ने किया। गुरु ग्रन्थ साहिब जी का पहला प्रकाश 30 अगस्त 1604 को हरमंदिर साहिब अमृतसर में हुआ। 1705 में दमदमा साहिब में दशमेश पिता गुरु गोविंद सिंह जी ने गुरु तेगबहादुर जी के 116 शब्द जोड़कर इसको पूर्ण किया, इनमे कुल 1430 पृष्ठ है। बताया कि गुरु ग्रंथ साहिब में कल 36 महापुरुषों की वाणी संकलित है। उन्होंने कहा की सिख समाज गुरु ग्रंथ साहब का पहला प्रकाश पर्व बड़े ही धूमधाम से मना रहा है।
मौके पर गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा के सचिव नरेंद्र सिंह सलूजा उर्फ सम्मी, देवेंद्र सिंह, त्रिलोचन सिंह सलूजा, कुंवरजीत सिंह, राजेंद्र सिंह, परमजीत सिंह कालू, तरणजीत सिंह, सतविंदर सिंह सलूजा, सन्नी सलूजा, जोरावार सलूजा, गिन्नी सलूजा, गिंदर सिंह, राजू चावला, ऋषि चावला, ऋषि सलूजा, गुरभेज सिंह कालरा, समेत समाज के काफी संख्या में महिला पुरुष व बच्चे मौजूद थे।
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