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सरकार के गलत नीतियों के विरोध में वनरक्षियों का अनिश्चितकालिन हड़ताल जारी

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गिरिडीह। झारखंड सरकार की गलत नीतियों से नाराज राज्य के सभी जिले के वनरक्षियों द्वारा विगत 16 अगस्त से अनिश्चितकालिन हड़ताल गुरुवार को भी जारी रहा। गिरिडीह जिले के वनरक्षी कार्य बहिष्कार करते हुए वन प्रमंडल कार्यालय में धरना पर बैठे हुए है।
धरना का नेतृत्व कर रहे संघ के जिलाध्यक्ष संदीप कुमार मिश्रा ने बताया कि वनरक्षी अपने नियुक्ति के समय लागू पदोन्नति संबंधी सेवा शर्त को पुनः लागू करने की मांग कर रहे है, झारखंड के वनरक्षी अल्प वेतन-भत्ते और बिना किसी विशेष सुविधा के जंगलों की सुरक्षा एवं विकास तथा वन्य प्राणियों की सुरक्षा एवं वन्य प्राणियों से लोगों की सुरक्षा सहित वनों का विकास एवं संवर्धन के लिए सुदूरवर्ती दुर्गम स्थानों पर दिन-रात अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं। कहा कि विगत 7 अगस्त को झारखंड सरकार ने झारखंड राज्य अवर वन क्षेत्रकर्मी संवर्ग नियमावली 2014 में अहितकारी संशोधन कर झारखंड राज्य अवर वन क्षेत्रकर्मी संवर्ग नियमावली 2024 बनाकर वनपाल के शत प्रतिशत प्रोन्नति के पद में कटौती करते हुए 50 प्रतिशत पदों पर सीधी नियुक्ति करने का निर्णय लिया है। जो वनरक्षियों के हीत में नही है। कहा कि विगत 6 वर्षों से प्रभारी वनपाल के रूप में बिना किसी आर्थिक लाभ का कार्य रहे है, उनके लिए विशेष सुविधा उपलब्ध कराने के बजाय सरकार ने वनरक्षियों के प्रोन्नति के अवसर को छिनने का कार्य किया है। जिसे किसी भी हालत में बर्दास्त नही किया जायेगा।

जिलामंत्री संजय कुमार महतो ने बताया कि संघ द्वारा मुख्यमंत्री को कई बार पत्राचार किया गया, लेकिन हम पर्यावरण के रक्षक वनरक्षक का उन्होंने कोई सुध नहीं लिया। संघ के संरक्षक विष्णु किस्कू ने बताया कि धरना प्रदर्शन के दौरान झारखंड के जंगलों और वन्य प्राणियों की सुरक्षा अधर में है, वन अपराधियों के द्वारा जंगल लुटे जा रहे है। जंगल की जमीन का अतिक्रमण हो रहा है। दिन प्रतिदिन वन संपदा की क्षति हो रही है लेकिन वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक द्वारा कोई सकारात्मक पहल नहीं किया जा रहा

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