सत्संकल्प युगनिर्माण का
युगनिर्माण का सत्संकल्प हम, जीवन में अपनाएंगे॥



युगनिर्माण का सत्संकल्प हम, जीवन में अपनाएंगे॥
नूतन विश्व रचेंगे मिलकर, स्वर्ग धरा पर लाएंगे॥

सर्वव्यापी ईश्वर को मानें, सबको न्याय दिलाता है।
जीवन में उनका अनुशासन,जीवन धन्य बनाता है॥
है शरीर ईश्वर का मंदिर, संयम नियम निभाएंगे। नूतन विश्व रचेंगे….॥1
मन में ना कुविचार पलेंगे, दुर्भावना मिटाना है।
स्वाध्याय सत्संग अपनाकर, चिंतन श्रेष्ठ बनाना है।
सतत् समय धन अंग विचार में, संयम सदा निभाएंगे॥ नूतन विश्व रचेंगे….॥2
हैं हम अभिन्न अंग समाज के,परहित समय लगाना है।
मर्यादा का पालन करके, वर्ज्यों से स्वयं बचाना है॥
समाजनिष्ठ बन कर्तव्यों को,जीवन भर निभाएंगे। नूतन विश्व रचेंगे….॥3

सत्यनिष्ठ और बुद्धिमान बन,बहादुरी दिखलाना है।
व्यावहारिक बनकर समाज में, जवाबदेह बन जाना है॥
सज्जन सरल व स्वच्छ सुहावन, वातावरण विकसायेंगे। नूतन विश्व रचेंगे….॥4
असफल होवें भले नीति से, नहीं अनीति अपनाना है।
सद्विचार सत्कर्म श्रेष्ठ है, इनका मूल्य बढ़ाना है॥
पसंद स्वयं व्यवहार नहीं जो, औरों से नहीं कराएंगे। नूतन विश्व रचेंगे….॥5
नर और नारी पवित्र दृष्टि से,आपस में व्यवहार करेंगे।
समय प्रभाव ज्ञान धन से,जग में सद्गुण संचार करेंगे॥
सत्प्रवृत्तियों के प्रसार हित, नियमित अंश लगाएंगे। नूतन विश्व रचेंगे….॥6
परंपराओं की तुलना में, हम विवेक अपनायेंगे।
कर संगठित सज्जनों को हम, अनीति से टकराएंगे॥
नवल सृजन में रुचि लेंगे हम,नया समाज बनाएंगे। नूतन विश्व रचेंगे….॥7
राष्ट्र के लिए निष्ठा जागे, भेद भाव मिटाना होगा।
पंथ प्रांत बोली व जाति से, ऊपर राष्ट्र बनाना होगा॥
अपना भाग्य बनाकर हम,औरों को श्रेष्ठ बनायेंगे। नूतन विश्व रचेंगे….॥8
हम बदलेंगे युग बदलेगा,विचार क्रांति का नारा है।
हम सुधरेंगे युग सुधरेगा, गुरु ने हमें पुकारा है॥
होगा युग निर्माण सुनिश्चित,जग को श्रेष्ठ बनाएंगे॥ नूतन विश्व रचेंगे….॥9
इसी गीत को प्रसिद्ध गायिका इशिता विश्वकर्मा की मधुर आवाज़ में सुनने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें
https://youtu.be/BN9WPj6H3bA?si=zCOEMc7n9u9VHbH-
कवि परिचय
झारखण्ड प्रदेश के गिरिडीह जिला के तिसरी प्रखंड के रहने वाले श्री उमेश यादव 1992 से वर्तमान में अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज हरिद्वार के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया डिविजन, टेलीकॉम सेक्शन एवं अन्य कई महत्वपूर्ण कार्यों की जिम्मेदारी एक स्वयंसेवी कार्यकर्ता के रूप में निभा रहे हैं। बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री उमेश यादव की प्राथमिक शिक्षा तिसरी से ही हुई। सातवीं कक्षा से ही इन्हें राष्ट्रीय ग्रामीण प्रतिभा के लिए छात्रवृति मिलने लगी। उच्च विद्यालय बगोदर से मेट्रिक बोर्ड पास करने के बाद इन्होने सेंट कोलंबस कॉलेज हजारीबाग एवं उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय से इन्टर, स्नातक एवं परास्नातक की पढाई की। अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक युग ऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य से वर्ष 1989 में ही दीक्षित उमेश यादव ने पढाई पूर्ण करने के बाद आकर्षक नौकरी के प्रस्ताव को छोड़कर समाज सेवा का मार्ग चुना और अपना जीवन शांति कुञ्ज हरिद्वार को समर्पित कर दिया। एक कवि और गीतकार के रूप में श्री उमेश यादव ने अपनी अलग पहचान बनायी है। “धर्म तंत्र से लोक शिक्षण” और “मनुष्य में देवत्व का उदय ,धरती पर स्वर्ग का अवतरण” सरीखे सूत्रों को आधार बना कर लिखी गईं इनकी कवितायें और गीत भीड़ में अलग ही स्थान रखती हैं।

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