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खुशियों की सौगात लेकर आया है “जमात-उल-विदा” यानि “छोटी ईद”

विभिन्न मस्जिदों में अदा की जायेगी अलविदा जुम्मे की नमाज

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आलोक रंजन

 

गिरिडीह : इस्लामी मान्यताओं के अनुसार सबसे पाक और मुकद्दस महीना है माहे रमजान. ये महीना इस्लामिक चन्द्र कैलेंडर का नौवां महीना होता है. हदीस के मुताबिक, रमजान के इस मुक़द्दस महीने में इबादत और नेकी का कई गुना ज्यादा सबाब मिलता है. इस पाक महीने के आखिरी जुमे की बात करें तो रमजान के आखिरी शुक्रवार को अलविदा जुम्मा या “जमात-उल-विदा” भी कहा जाता है. इसका मतलब होता है जुम्मे की विदाई. रमजान महीने में अलविदा जुम्मे या “जमात-उल-विदा” को छोटी ईद भी कहा जाता है. कहते हैं कि इस दिन सच्चे मन से उस पाक परवरदिगार से जो भी दुआ मांगी जाती है, वो कबूल हो जाती है. मस्जिदों में अलविदा जुम्मे के मौके पर विशेष नमाज अदा की जाती है और घरों में भी इबादत का सिलसिला चलता है.

इस्लाम धर्म को मानने वाले लोगों के लिए अलविदा जुम्मे का दिन बहुत ही खास होता है. इस साल अलविदा जुम्मा 5 अप्रैल को यानि आज है. इस खास मौके पर विभिन्न मस्जिदों में अलविदा जुम्मा की नमाज अदा की जायेगी. लोग अपने करीबियों, रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए अल्लाह से नेकी और खुशहाली की दुआ मांगेंगे और साथ ही देश में अमन व शांति की कामना भी करेंगे.

नमाज़ के बाद जितने भी हाथ दुआ के लिए उठेंगे, उन सबों की बस यही कामना होगी –

“या अल्लाह, आज जुमा की नमाज के बाद जितने भी

हाथ तेरी बारगाह में दुआ के लिए उठे हैं

सब की दुआ कुबूल फरमा “

 

नव बिहान के सभी पाठकों को अलविदा जुम्मा की मुबारकबाद 

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