सावन की सोमवारी: भगवान शिव की भक्ति का पवित्र उत्सव
जानें सावन महीने की सोमवारी का आध्यात्मिक महत्व और पूजा विधि


नव बिहान डेस्क : सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है। हिंदू धर्म में इस महीने का विशेष महत्व है, खासकर सोमवार के दिन, जिन्हें सावन की सोमवारी के रूप में जाना जाता है। यह समय भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने, मन की शुद्धि और जीवन में सुख-समृद्धि के लिए अद्वितीय माना जाता है। आइए जानते हैं सावन की सोमवारी का महत्व और इसे कैसे मनाएं।
सावन की सोमवारी का महत्व


पुराणों के अनुसार, सावन महीने में समुद्र मंथन के दौरान निकला विष भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया था, जिससे वे नीलकंठ कहलाए। इसीलिए सावन में शिव पूजा विशेष फलदायी होती है। सोमवार, जो भगवान शिव का प्रिय दिन है, इस महीने में और भी शक्तिशाली हो जाता है। सावन की सोमवारी के प्रमुख लाभ:
- आध्यात्मिक शुद्धि: शिवलिंग पर जल, दूध, और बिल्वपत्र चढ़ाने से मन और आत्मा शुद्ध होती है।
- मनोकामना पूर्ति: सच्चे मन से की गई पूजा भगवान शिव को प्रसन्न करती है और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- पापों का नाश: इस दिन व्रत और पूजा से पिछले पापों का नाश होता है।
- सुख-शांति: यह दिन परिवार की समृद्धि और शांति के लिए विशेष फलदायी है।
सावन सोमवारी की पूजा विधि
- प्रातः स्नान: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- शिवलिंग पूजा: घर पर या मंदिर में शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद और बिल्वपत्र चढ़ाएं।
- मंत्र जाप: “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
- व्रत और कथा: सावन सोमवारी का व्रत रखें और सोलह सोमवार व्रत की कथा सुनें।
- रुद्राभिषेक: यदि संभव हो, मंदिर में रुद्राभिषेक करें, जो विशेष रूप से शक्तिशाली माना जाता है।
सावन का उत्साह और कांवड़ यात्रा

सावन की सोमवारी पर मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। भक्त कांवड़ यात्रा के माध्यम से गंगा जल लाकर भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। यह भक्ति का उत्सव न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि सामाजिक एकता को भी बढ़ावा देता है।
सावन की सोमवारी भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का सुनहरा अवसर है। इस पवित्र महीने में प्रत्येक सोमवार को भक्ति, श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा करें। “ॐ नमः शिवाय” के जाप के साथ अपने जीवन को शांति और समृद्धि से आलोकित करें।

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