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पारसनाथ पहाड़ को संरक्षित रखने के प्रावधानों को सख़्ती से लागू करे राज्य सरकार : हाईकोर्ट

पिछले कुछ वर्षों से विवादों में है ये प्रसिद्ध तीर्थस्थल

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आलोक रंजन
आलोक रंजन

 

गिरिडीह : जैनधर्म के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल गिरिडीह के पारसनाथ को लेकर झारखण्ड हाई कोर्ट ने काफी महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है. एक याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए  राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वर्ष 2019 की अधिसूचना और 2023 के कार्यालय ज्ञापन को लागू करने के लिए कड़े आवश्यक कदम उठाये जाएं. खंडपीठ ने गिरिडीह के एसपी को भी निर्देश दिया कि वे पारसनाथ पहाड़ को जैन धर्म मानने वालों के अनुरूप संरक्षित रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं. खंडपीठ ने इसके साथ ही गिरिडीह ज़िला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव को प्रार्थी व प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए पारसनाथ पहाड़ का दौरा करने का निर्देश दिया ताकि पहाड़ और पहाड़ की तलहटी में संचालित किसी भी अवैध गतिविधि का पता लगाया जा सके.

दरअसल पिछले कुछ वर्षों से झारखण्ड में स्थित जैनियों के इस विश्व प्रसिद्द तीर्थ स्थल पर कई तरह के विवादों ने जन्म लिया है. इनमें से कुछ विवाद तो पूंजीपतियों और अधिकारियों की सांठ-गाँठ की देन हैं और कुछ राजनीतिज्ञों की. बाहरी-भीतरी, मेरी संस्कृति, तेरी संस्कृति के इस विवाद को राजनीति ने ऐसी हवा दी है कि सदियों से आपसी सामंजस्य और एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हुए सहज सहकार से रह रहे लोग आज टकराने की मुद्रा में हैं. इन सभी हालातों पर हम अपने आलेखों और वीडियो रिपोर्ट्स के माध्यम से समय-समय पर आपको अवगत कराते रहेंगे, पर फिलहाल हाई कोर्ट का ये अंतरिम आदेश इस मसले को फौरी विराम देने में बेशक महती भूमिका अदा करेगा.

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