भाजपाइयों ने सुना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात का 114वां संस्करण
महिला स्वावलंबी एवं सशक्तिकरण के साथ ही पर्यावरण संरक्षण पर दिया गया जोर
गिरिडीह। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात का 114वाँ संस्करण रविवार लाइव प्रसारित किया गया। इस दौरान गिरिडीह विधानसभा के विभिन्न बूथों पर भाजपाईयों ने प्रधानमंत्री के मन की बात संस्करण को सुना। इस क्रम में निवर्तमान सदर विधायक निर्भय कुमार शाहाबादी, विश्वनाथ शर्मा, संत कुमार लल्लू, दीपक शर्मा, हबलू गुप्ता, राजेंद्र सिंह, उमा सिंह, दीपक स्वर्णकार, वीरेंद्र वर्मा, सुरेश पासवान, अमित जायसवाल ने अपने वार्ड नंबर 15 के बूथ संख्या 60 पर पीएम की मन की बात को सुना। वहीं, हनी होली स्कूल में सेवानिवृत इंजीनियर विनय कुमार सिंह व कोलडीहा में सुरेश साव, बबली साव ने बड़ी एलईडी टीवी पर प्रसारित कार्यक्रम मन की बात को कई कार्यकर्ताओं के साथ सुना।
इधर चुन्नुकांत, शालिनी वैस्खियार, संदीप डंगैच, विनय शर्मा, हरमिंदर सिंह आदि ने बूथ नंबर 41, 42, 43 बरगंडा स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर प्रांगण में, दिनेश यादव, मुकेश जालान ने बड़ा चौक स्थित केन्द्रीय पुस्तकालय व शक्ति केन्द्र 24 बूथ नंबर 101 से 105 व शक्ति केन्द्र 2 के 8 और 9 में मन की बात को सुना। जबकि वार्ड नंबर 7 के बूथ संख्या 22 एवं 26 में प्रो0 विनीता कुमारी ने नगर मंत्री समीर दीप सहित अन्य कार्यकर्ताओं के साथ पीएम के मन की बात को सुनी।
मन की बात की समाप्ति पर भाजपाईओं ने कहा कि पीएम के मन की बात के आज के संस्करण में महिला स्वावलंबी एवं सशक्तिकरण पर जोर दिया गया है। खास कर उनके द्वारा लोगो के द्वारा भेजे गए के पत्रों को स्वयं से पढ़ना और उसमें से जो बहुत ही अच्छा सुझाव होता है, उस पर कार्य करने का प्रारूप तैयार कर पूरा करने का प्रयास करते है।
कहा कि इस बार मन की बात कार्यक्रम को 10 साल पूरे हो रहे हैं। इसका प्रारंभ 3 अक्टूबर 2014 को हुआ था। मन की बात कार्यक्रम में हर बार नई गाथाएं, नए व्यक्तित्व और नए कीर्तिमान जुड़ जाते हैं। आज स्वच्छ भारत मिशन के 10 वर्ष पूरे हो रहे हैं जिसके माध्यम से महात्मा गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि दी गई। एक पेड़ मां के नाम अभियान से पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिला, पीएम मोदी जी ने सभी देशवासियों से अपील की कि इन त्योहारों पर मेड इन इंडिया प्रोडक्ट ही खरीदें। साथ ही संथाली भाषा को डिजिटल नवाचार की मदद से नई पहचान देने का अभियान शुरू किया गया।
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