प्रदूषण की मार झेल रहे औद्योगिक क्षेत्र के लोगों का फूटा गुस्सा, किया वोट बहिष्कार का ऐलान
जिला प्रशासन की मान – मनौव्वल से फिलहाल माने ग्रामीण, करेंगे मतदान
गिरिडीह : पिछले कई वर्षों से प्रदूषण की मार झेल रहे गिरिडीह औद्योगिक क्षेत्र के ग्रामीणों का गुस्सा उफान पर है. विभिन्न औद्योगिक इकाईओं की चिमनियों से लगातार निकल रहा ज़हर इनकी जिंदगियों से खिलवाड़ कर रहा है. इस अनवरत अत्याचार का शिकार हो रहे ग्रामीणों के विरोध के स्वर नक्कारखाने में तूती की आवाज़ साबित होते रहे हैं. अब जब लोकतंत्र का महापर्व आया है तो इन्हें अपनी आवाज़ नीति – नियन्ताओं तक पहुंचाने का सुनहरा अवसर मिला और इलाके के ग्रामीण गोलबंद हुए. यहाँ सभी राजनैतिक दलों के विरोध के साथ – साथ ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार का ऐलान भी कर दिया.
ग्रामीणों से बात करते अधिकारी
ग्रामीणों के वोट बहिष्कार के ऐलान की खबर सुनते ही गिरिडीह जिला प्रशासन के कान खड़े हुए, हाथ – पाँव फूलने लगे और आनन – फानन में जिले के कई वरीय पदाधिकारी चतरो गाँव पहुंचे. घंटों मान – मनौव्वल का दौर चला, ग्रामीणों को आश्वासन की घुट्टी पिलाई गई, समझाया गया कि 10 जून को इलाके में बैठक होगी और समस्याओं का समाधान किया जाएगा. अधिकारियों की समझाईश फिलहाल तो काम आई और ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार के फैसले को वापस ले लिया और कहा कि वे मतदान ज़रूर करेंगे.
ग्रामीणों ने मतदान करने की घोषणा तो कर दी है, पर उनका गुस्सा अभी शांत नहीं हुआ है. सूत्रों के अनुसार इस इलाके में राजनैतिक दलों का विरोध अब भी है, और चुनाव प्रचार के लिए पहुँच रहे नेताओं को विरोध का सामना भी करना पद रहा है.
अभी तो खबर यही है कि इस इलाके के ग्रामीण मतदान करेंगे, पर इस खबर के साथ कई सवाल भी हैं.
1. क्या इस इलाके के लोगों को प्रदूषण के ज़हर से कभी निजात मिलेगी या फिर ये इनकी जिंदगियों को आहिस्ता – आहिस्ता लील जाएगा?
2. इलाके के संसाधनों का दोहन कर मालामाल हो रहे उद्योगपतियों, राजनीतिज्ञों, नौकरशाहों और इलाके के अमचों – चमचों का गठजोड़ कभी इन मजलूमों की हालत पर तरस खाएगा?
3. विभिन्न औद्योगिक इकाईयों की चिमनियों से निकल रहा काला ज़हर ग्रामीणों के लिए तो जानलेवा है, पर यही धुंआ उपरोक्त गठजोड़ के लिए सोना है, चांदी है, हीरा है. क्या ये कभी बंद होगा?
4. क्या कभी इस जिले और प्रदेश का प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड संवेदनशील होगा या फिर इसकी संवेदना के स्वर सिक्कों की खनक में दबते रहेंगे?
इनके अलावा भी सवालात तो कई हैं, जिनके जवाब ना जाने कब मिलेंगे. मिलेंगे भी या नहीं, ये भी हमें नहीं पता. हमें पता है तो बस यही कि अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हुए हम आने वाले दिनों में इन तमाम सवालों को प्रमुखता से उठायेंगे और प्रयास करेंगे कि आपकी आवाज़ नीति – निर्धारकों तक मजबूती से पहुँचाएं. आप बने रहे हमारे साथ ………
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