Nav Bihan
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नई दिल्ली में आयोजित गतका प्रतियोगिता में ओवर ऑल राष्ट्रीय स्तर पर तीसरे स्थान पर रहा झारखण्ड

गिरिडीह की खेल प्रशिक्षिका के नेतृत्व में झारखंड के प्रतिभागियों ने जीते 8 पदक

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गिरिडीह। नेशनल स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया व डायरेक्टर ऑफ एजुकेशन के द्वारा नई दिल्ली में आयोजित 68वां स्वदेशी सिख मार्शल आर्ट गतका प्रतियोगिता में झारखंड के प्रतिभागियों ने उम्दा प्रदर्शन करते हुए ओवर ऑल राष्ट्रीय स्तर पर तीसरे स्थान पर रही है। नई दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में 21-27 अपै्रल तक चले प्रतियोगिता में देशभर के करीब 20 राज्यों से 600 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। वहीं झारखण्ड से झारखण्ड कोच गिरिडीह की खेल शिक्षिका पूनम कुमारी के नेतृत्व में 32 प्रतिभागियों ने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। इस दौरान बतौर झारखण्ड कोच गिरिडीह की खेल शिक्षिका पूनम कुमारी के मार्गदर्शन में प्रतिभागियों ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए आठ पदकों पर कब्जा जमाया। जिसमें सात कांस्य व एक रजत पदक शामिल है।

प्रतियोगिता संपन्न होने के बाद झारखंड लौटने में रांची में पूरी टीम का भव्य रूप से स्वागत किया गया। इस दौरान बताया गया कि झारखण्ड एजुकेशन प्रोजेक्ट काउंसिल के नेतृत्व में गतका एसोशिएशन ऑफ झारखण्ड के द्वारा प्रतियोगिता में 38 सदस्यीय टीम नई दिल्ली गई थी। जिसमें 4 कोच, 2 मैनजर व 32 प्रतिभागी शामिल थे। इस प्रतियोगिता के सभी पदक धारियों को प्रमाणपत्र भी दिया गया है। गौरतलब है कि प्रतियोगिता के लिए झारखण्ड के विभिन्न जिलों के प्रतिभागियों का चयन किया गया था। सभी प्रतिभागियों ने कोच पूनम कुमारी के नेतृत्व में प्रदर्शन करते हुए झारखण्ड का नाम रौशन किया है। सभी विजेताओं को सम्मान स्वरूप झारखण्ड सरकार के खेल निति के तहत 50-50 हजार रूपए की राशि दी जायेगी।

रोमांचकारी खेल के साथ साथ आत्मरक्षा के सिखाए जाते है गुर: पूनम

इधर गिरिडीह लौटने पर खेल शिक्षिका सह झारखण्ड कोच पूनम कुमारी ने बताया कि गतका एक प्रकार को फरी सोटी खेल है। यह अत्यंत रोमांचकारी होने के साथ आत्मरक्षा के लिए बेहतर है। लड़कियों को इस खेल के प्रति जागरूक होने से स्वयं की सुरक्षा भी संभव है। बताया कि फरी सोटी या गतका एक प्रकार का तलवार ढाल की तरह प्रयोग होने वाला खेल है। इसके खेल नियमों और रोमांच के कारण तेजी से विकसित हो रहा है। बताया कि पूर्व में यह खेल मुख्य रूप से पंजाब का स्थानीय खेल हुआ करता था, लेकिन आज यह विश्व पटल पर खेला जाने वाला प्रमुख खेल बन चुका है। कहा कि देश में भी यह खेल तेजी से विकसित हो रहा है।

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