Nav Bihan
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जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा: धर्मांतरण के काले कारोबार की कहानी

सड़कों पर अंगूठी और नग बेचने वाला एक शख्स कैसे बना 100 करोड़ रुपये की संपत्ति का मालिक

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नव बिहान डेस्क : उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले का नाम हाल ही में एक सनसनीखेज मामले के कारण सुर्खियों में रहा। इस कहानी का केंद्रीय पात्र है जमालुद्दीन, जिसे लोग छांगुर बाबा के नाम से जानते हैं। एक समय सड़कों पर अंगूठी और नग बेचने वाला यह शख्स कैसे 100 करोड़ रुपये की संपत्ति का मालिक बना और अवैध धर्मांतरण के एक संगठित नेटवर्क का सरगना बन गया, यह कहानी न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि समाज और प्रशासन के लिए एक चेतावनी भी है।

छांगुर बाबा का उदय: सड़क से आलीशान कोठी तक

जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा का जन्म बलरामपुर के रेहरा माफी गांव में हुआ। शुरूआती जीवन में वह अंगूठी और नग बेचकर गुजारा करता था। कुछ समय बाद वह मुंबई चला गया, जहां वह हाजी अली दरगाह के आसपास भी ऐसा ही छोटा-मोटा व्यापार करता था। लेकिन 2020-21 के बाद उसकी जिंदगी में अचानक बदलाव आया। वह ठाठ-बाट से रहने लगा और बलरामपुर के उतरौला कस्बे के मधपुर गांव में एक आलीशान कोठी बनवाई, जो बाद में उसके काले कारोबार का केंद्र बनी। यह कोठी सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनाई गई थी, जिसके लिए प्रशासन ने 17 मई, 17 जून और 7 जुलाई 2025 को नोटिस जारी किए। अंततः 8 जुलाई 2025 को इस 40 कमरों वाली कोठी पर बुलडोजर चला दिया गया।

धर्मांतरण का संगठित नेटवर्क

सड़कों पर अंगूठी और नग बेचने वाला एक शख्स कैसे बना 100 करोड़ रुपये की संपत्ति का मालिक
सड़कों पर अंगूठी और नग बेचने वाला एक शख्स कैसे बना 100 करोड़ रुपये की संपत्ति का मालिक

 

छांगुर बाबा पर आरोप है कि वह एक संगठित गिरोह चलाता था, जो गरीब, मजदूर और कमजोर वर्ग के लोगों को लालच, धमकी और ब्रेनवॉशिंग के जरिए धर्मांतरण के लिए मजबूर करता था। यूपी एटीएस की जांच में सामने आया कि बाबा ने न केवल स्थानीय लोगों, बल्कि मुंबई के एक रसूखदार सिंधी परिवार—नवीन रोहरा, उनकी पत्नी नीतू और बेटी—का भी धर्म परिवर्तन कराया। नवीन का नाम बदलकर जमालुद्दीन और नीतू का नसरीन रखा गया।

इस नेटवर्क की खास बात यह थी कि इसमें जाति के आधार पर लड़कियों के लिए रेट तय थे। ब्राह्मण, क्षत्रिय और सिख लड़कियों के लिए 15-16 लाख रुपये, पिछड़ी जातियों के लिए 10-12 लाख और अन्य जातियों के लिए 8-10 लाख रुपये दिए जाते थे। यह एक सुनियोजित ‘मार्केटिंग’ की तरह था, जिसमें लोग पैसे और डर के बल पर धर्म बदलने को मजबूर होते थे।

विदेशी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग

40 बैंक खातों में 100 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी फंडिंग आई
40 बैंक खातों में 100 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी फंडिंग आई

 

एटीएस की जांच में खुलासा हुआ कि छांगुर बाबा के 40 बैंक खातों में 100 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी फंडिंग आई थी। उसने 40 से 50 बार इस्लामिक देशों की यात्रा की और कथित तौर पर वहां से फंड जुटाया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच शुरू की है, जबकि एनआईए टेरर फंडिंग के पहलुओं की जांच कर रही है। बाबा ने पुणे के लोनावला में भी संपत्ति खरीदी थी, जिसे उसने कोर्ट क्लर्क की पत्नी के नाम कर दिया ताकि जांच से बचा जा सके।

पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई

यूपी एटीएस ने नवंबर 2024 में छांगुर बाबा और उसके सहयोगियों के खिलाफ लखनऊ में मुकदमा दर्ज किया। 50 हजार रुपये के इनामी बाबा को 5 जुलाई 2025 को नीतू उर्फ नसरीन के साथ गिरफ्तार किया गया। बाबा के गैंग के अन्य सदस्य, जैसे मोहम्मद अहमद खान, महबूब और कुछ अन्य, अभी फरार हैं।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में सख्त रुख अपनाया। उन्होंने कहा, “जमालुद्दीन की गतिविधियां समाज और राष्ट्र विरोधी हैं। उसकी और उसके गिरोह की संपत्तियां जब्त की जाएंगी, और ऐसी सजा दी जाएगी जो समाज के लिए नजीर बने।”

महिला आयोग का रुख और सामाजिक प्रतिक्रिया

छांगुर बाबा का उदय: सड़क से आलीशान कोठी तक
छांगुर बाबा का उदय: सड़क से आलीशान कोठी तक

 

उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान ने छांगुर बाबा के कृत्यों को “सुनियोजित साजिश” करार देते हुए उसके लिए मृत्युदंड की मांग की। उन्होंने कहा कि यह मामला समाज की बेटियों को जहरीली विचारधारा का शिकार बनाने की कोशिश है।

लखनऊ में 12 लोगों ने हाल ही में इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म में ‘घर वापसी’ की, जिनमें से कई ने छांगुर बाबा के नेटवर्क का शिकार होने की बात कबूल की। यह मामला सामाजिक और धार्मिक संगठनों के बीच भी गहरे विवाद का कारण बना है।

जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा की कहानी एक ऐसे शख्स की है, जो सड़क पर अंगूठी बेचने से लेकर अवैध धर्मांतरण के काले साम्राज्य का मास्टरमाइंड बन गया। विदेशी फंडिंग, संगठित अपराध और समाज के कमजोर वर्ग को निशाना बनाने की उसकी रणनीति ने न केवल कानून-व्यवस्था को चुनौती दी, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी खतरे में डाला। यह मामला यह भी दर्शाता है कि कैसे लालच और डर का इस्तेमाल कर कुछ लोग धर्म के नाम पर समाज को बांटने की कोशिश करते हैं।

प्रशासन की सख्त कार्रवाई और जांच एजेंसियों की सक्रियता से यह उम्मीद बंधती है कि इस तरह के अपराधों पर अंकुश लगेगा। लेकिन समाज को भी जागरूक रहने की जरूरत है ताकि भविष्य में कोई और ‘छांगुर बाबा’ इस तरह की साजिश को अंजाम न दे सके।

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