झारखंड की माटी से जुड़ी संस्कृति को दीवारों पर उकेर रहे महावीर शामी
32 हजार गांवों में झारखंडी रंग भरने का लक्ष्य
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झारखंड की समृद्ध संस्कृति को जीवंत रखने के संकल्प के साथ धनबाद जिला के बाघमारा प्रखंड स्थित कपूरिया गांव के निवासी प्रसिद्ध माटी चित्रकार महावीर शामी लगातार अपने चित्रों के माध्यम से प्रदेश के गांव-गांव में सांस्कृतिक जागरूकता फैला रहे हैं। साल 2024 के अंत में भी उन्होंने बोकारो जिले के कसमार प्रखंड अंतर्गत खैराचातर के रणविजय रोशन मेमोरियल संस्कार पब्लिक स्कूल में झारखंडी संस्कृति और राष्ट्रभक्ति से जुड़े चित्र बनाकर प्रदेश की अस्मिता को मजबूत किया है।
महावीर शामी का सपना है कि झारखंड के 32,640 गांवों को अपने चित्रों के माध्यम से सांस्कृतिक पहचान दिलाई जाए। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़ दी है और पिछले तीन वर्षों से लगातार इस मिशन में लगे हुए हैं। अब तक वे राज्य के 9 जिलों के लगभग 120 गांवों में 35,000 वर्ग फीट दीवारों पर झारखंडी संस्कृति को दर्शाने वाले चित्र बना चुके हैं।
अपने इस अभियान के तहत महावीर शामी अब तक खैराचातर, पिरगुल और मंजुरा गांव में लगभग 2000 वर्ग फीट दीवारों पर चित्रकारी कर चुके हैं। वे बताते हैं कि इस कार्य के दौरान कई बार हफ्तों घर से दूर रहना पड़ता है। मौसम की मार हो या कठिन परिस्थितियां, उनका जुनून कभी कम नहीं होता।
महावीर शामी का कहना है कि झारखंड अलग राज्य तो बन गया, लेकिन यहां की मूल संस्कृति धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है। इसी को बचाने के लिए वे अपनी कला के माध्यम से जागरूकता फैला रहे हैं।
शामी ने राज्य सरकार से झारखंड के हर सरकारी स्कूल में कला-संस्कृति की पढ़ाई शुरू करने, आर्ट कॉलेज, आर्ट यूनिवर्सिटी, क्षेत्रीय कलाकारों के लिए पेंशन और प्रशिक्षण की व्यवस्था, शहीदों की स्मृति में संग्रहालय निर्माण, पारंपरिक नृत्य और त्योहारों के उत्थान के लिए विशेष बजट समेत कई अहम मांगें की हैं।
आज झारखंड के करीब 600 गांवों से उन्हें आमंत्रण मिल चुका है, और महावीर शामी ने ठान लिया है कि वे इस अभियान को किसी भी कीमत पर जारी रखेंगे। उनका कहना है कि “अगर रोकना है तो मिटाना पड़ेगा”, क्योंकि यह सिर्फ चित्रकारी नहीं, झारखंड की माटी का कर्ज चुकाने का प्रयास है।
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