Kargil Vijay Diwas: 1999 में क्यों छिड़ी थी भारत-पाक में जंग? परवेज मुशर्रफ ने रची थी साजिश
Kargil Vijay Diwas: कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ के मौके पर कारगिल में युद्ध छिड़ने के कारण जानिए। वर्ष 1999 में पाकिस्तान ने साजिश के तहत भारत में घुसपैठ की थी। पाकिस्तानी सेना के अध्यक्ष परवेज मुशर्रफ ने भारत के खिलाफ साजिश रची थी। आइए जानते हैं कि भारत और पाकिस्तान में 1999 में जंग क्यों छिड़ी थी?


Nav Bihan Desk : कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ 26 जुलाई 2025 को है। साल 1999 में मई से जुलाई महीने के बीच जम्मू कश्मीर के कारगिल जिले में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास लड़ा गया था। कारगिल युद्ध 1965 और 1971 की लड़ाई के बाद दोनों देशों के बीच तीसरा सबसे बड़ा सैन्य टकराव था। जंग का बिगुल फूंकते हुए पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ ऑपरेशन कोह पर्वत (ऑपरेशन बद्र) शुरू किया था।
जवाबी कार्रवाई करते हुए भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ और भारतीय वायुसेना ने ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ शुरू किया था। ऑपरेशन कोह पर्वत के तहत पाकिस्तानी सेना ने भारत में घुसपैठ की थी। ऑपरेशन का नेतृत्व उस समय पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल परवेज मुशर्रफ ने किया था। ऑपरेशन का मकसद भारतीय क्षेत्र में चोटियों पर कब्जा करके भारत पर सैन्य और कूटनीतिक दबाव बनाना था, लेकिन पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़कर भारत ने युद्ध जीता था।

क्या थे जंग छिड़ने के कारण?

1947 के बंटवारे के बाद भारत-पाकिस्तान के संबंध खराब ही हैं। पाकिस्तान भारत के खिलाफ साजिश रचने के लिए कोई न कोई ऐसा मौका तलाशता ही रहता है। ऐसे ही मौके का फायदा उठाते हुए पाकिस्तान ने पहले 1965 में भारत के साथ युद्ध किया, फिर 1971 में भारत के साथ जंग लड़ी। तीसरी बार फिर 1999 में पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण किया और अब एक बार फिर दोनों देशों में कभी भी जंग छिड़ने जैसे हालात बने हुए हैं। हर बार जंग होने के पीछे अलग-अलग कारण रहे, लेकिन 1999 में भारत और पाकिस्तान में जंग छिड़ने के कई कारण थे।
बर्फ से लदी चोटियां, खाली चौकियां
सर्दियों में कारगिल की चोटियां बर्फ से ढक जाती हैं, इसलिए भारत और पाकिस्तान की सेनाएं अपनी-अपनी चौकियों को खाली कर देते थे, लेकिन साजिश रचते हुए पाकिस्तान की सेना के अध्यक्ष परवेज मुशर्रफ ने सेना को आदेश दिया कि पाकिस्तानी सैनिक मौके का फायदा उठाएं और चोटियों पर बनी भारतीय चौकियों पर कब्जा कर लें।
ऐसा होने से भारत की चोटियों पर पाकिस्तान का कब्जा हो गया। पाकिस्तानी सेना और उनके आतंकियों ने कारगिल की ऊंची चोटियों टाइगर हिल, तोलोलिंग और बटालिक पर कब्जा कर लिया था। वे भारतीय क्षेत्र में 5-10 किलोमीटर अंदर तक घुस आए थे। घुसपैठ करने वाले लोग पाकिस्तानी सेना की नॉर्दर्न लाइट इन्फैंट्री (NLI) के सैनिक थे, जिन्हें मुजाहिदीन बताया गया था।
भारतीय खुफिया तंत्र की विफलता

पाकिस्तान की सेना ने भारतीय चौकियों और चोटियों पर कब्जा कर लिया है, इस बारे में भारतीय सेना को पता नहीं चला। भारत का खुफिया तंत्र भी पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ का पता नहीं लगा सका, क्योंकि घुसपैठ हाड़ कंपा देने वाली सर्दियों में हुई थी। मई 1999 में जम्मू कश्मीर के चरवाहों ने चौकियों और चोटियों पर पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ की सूचना दी, जिसके बाद भारत ने कार्रवाई शुरू की।
नेशनल हाईवे को बाधित करना
घुसपैठ करने के बाद पाकिस्तान का मकसद कारगिल-द्रास-लेह को जोड़ने वाला नेशनल हाईवे-1A (NH-1A) को बाधित करना था। यह हाईवे भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण था, क्योंकि यह हाईवे कारगिल को लद्दाख और सियाचिन से जोड़ता था। इस हाईवे से ही लद्दाख और सियाचिन में सैन्य आपूर्ति की जाती थी। पाकिस्तान का लक्ष्य इस हाईवे पर हमला करके भारतीय सेना की सप्लाई लाइन को काटना था।
कश्मीर मुद्दे को उछालना
1999 में भारत पर हमला करके, भारत की चौकियों और चोटियां पर कब्जा करके पाकिस्तान ने कश्मीर के मुद्दे को उछालने की कोशिश की थी। घुसपैठ करके कश्मीर के विवाद को फिर से पूरी दुनिया के ध्यान में लाने की कोशिश की थी।
सियाचिन पर दबाव बनाना
1999 में भारत पर हमला करने का पाकिस्तान का मकसद सियाचिन था। सियाचिन पर भारत का नियंत्रण है और कारगिल की चोटियां सियाचिन ग्लेशियर के पास हैं। पाकिस्तान सियाचिन को भारत से हथियाना चाहता है।
लाहौर समझौते का उल्लंघन
1999 में भारत में घुसपैठ करके पाकिस्तान ने लाहौर शांति समझौते के बाद विश्वासघात किया था। फरवरी 1999 में भारत के उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तान के उस समय के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच लाहौर समझौता हुआ था, जिसके तहत दोनों देशों ने LAC पर शांति बनाए रखने पर सहमति जताई थी, लेकिन मई 1999 में पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ इस समझौते का उल्लंघन था, जिसने भारत को सैन्य कार्रवाई के लिए मजबूर किया।
- इस तथ्यात्मक रिपोर्ट के लेखक रौशन कुमार नव बिहान के डिजिटल हेड व कंटेंट क्रिएटर हैं

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