Jharkhand Election: थम गया प्रचार का शोर, अब मतदान की बारी
दूसरे चरण के मतदान में 38 विधानसभा सीटों पर मतदान, गिरिडीह की 6 विधानसभा सीटों पर क्या है समीकरण, कौन है रेस में और कौन है बाहर
आलोक रंजन
गिरिडीह : झारखंड में दूसरे चरण के मतदान के लिए पिछले कई दिनों से बज रहा प्रचार का भोंपू अब बंद हो गया है. 81 में से बची 38 विधानसभा सीटों के लिए बुधवार 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। ये 38 सीटें ही झारखंड में सत्ता की तस्वीर और दलों-गठबंधन की तकदीर तय करेगी। पहले चरण के चुनाव के बाद जो बातें सामने आई हैं, उससे ये साफ़ है कि मुख्य मुकाबला एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच है. हालांकि कुछ सीटों पर जयराम महतो की पार्टी भी जोर आजमाईश कर रही है. इस चरण में कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है. जिन प्रमुख राजनीतिक दिग्गजों के भाग्य का फैसला होगा, उनमें हेमंत सोरेन, कल्पना सोरेन, बाबूलाल मरांडी, सुदिव्य कुमार सोनू, सुदेश महतो, लोबिन हेम्ब्रम, सीता सोरेन, हेमलाल मुर्मू, स्टीफन मरांडी, रबिन्द्रनाथ महतो, रणधीर सिंह, प्रदीप यादव, दीपिका पांडेय सिंह, इरफ़ान अंसारी, अमर बाउरी, पूर्णिमा नीरज सिंह, बसंत सोरेन, लुईस मरांडी, बादल, हफीजुल हसन का नाम शामिल हैं।
इन 38 में से गिरिडीह की 6 विधानसभा सीटों पर कौन हैं आमने-सामने और कौन किसे दे रहा है टक्कर
- गिरिडीह : गिरिडीह में जेएमएम के सुदिव्य कुमार और बीजेपी के निर्भय शाहाबादी के बीच कड़ा मुकाबला है.
2019 में सुदिव्य कुमार ने निर्भय शाहाबादी को मात दी थी, जबकि निर्भय शाहबादी भी दो बार यहां से चुनाव जीत चुके है. इस बार सुदिव्य कुमार सोनू अपने 5 साल के काम के आधार पर जनता के बीच हैं तो भाजपा के निर्भय शाहाबादी पार्टी के एजेंडे को आधार बना कर मैदान में हैं. इनके अलावा जयराम महतो की पार्टी झारखण्ड लोकत्रांतिक क्रान्तिकारी मोर्चा के प्रत्याशी नवीन आनंद चौरसिया भी ताल ठोक रहे हैं. - गांडेय : गांडेय विधानसभा सीट जेएमएम का गढ़ माना जाता है. इस वर्ष उपचुनाव में इस सीट से जेएमएम की स्टार प्रचारक कल्पना सोरेन ने जीत हासिल की थी. उन्होंने भाजपा के दिलीप वर्मा को मात दी थी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन फिर से चुनाव मैदान में हैं, जबकि भाजपा ने यहां इस बार मुनिया देवी पर दांव खेला है जो गिरिडीह जिला परिषद की अध्यक्ष भी हैं.
- धनवार : धनवार विधानसभा सीट इस बार पूरे प्रदेश में चर्चा में है. यहाँ पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की प्रतिष्ठा दांव पर है. 2019 के चुनाव में बाबूलाल मरांडी ने यहाँ झाविमो से चुनाव जीता था पर बाद में उन्होंने भाजपा में अपनी पार्टी का विलय कर दिया था. यहाँ निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर निरंजन राय ने इस सीट को काफी हॉट व चर्चित बना दिया था, हालांकि एक दो दिनों पूर्व ही काफी मान – मनौव्वल और दांव – पेंच के बाद उन्होंने भाजपा की सदस्यता ले ली और अब वे बाबूलाल के लिए प्रचार कर रहे हैं. धनवार से भाकपा माले के राजकुमार यादव और झामुमो के निजामुद्दीन अंसारी भी मैदान में हैं. हालांकि दोनों ही दल इसे दोस्ताना संघर्ष बता रहे हैं, पर अंदरखाने की मानें तो मुकाबला अब मुकाबला बाबूलाल और राजकुमार यादव के बीच ही है.
- जमुआ : जमुआ में मंजू देवी और केदार हाजरा एक बार फिर आमने-सामने हैं. 2019 के चुनाव में केदार हाजरा ने बीजेपी उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी, वहीं मंजू देवी कांग्रेस की प्रत्याशी थीं. इस बार नाम तो वही है, पर चुनाव चिन्ह बदल गया है. चुनाव से ठीक पहले मंजू देवी कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में शामिल हो गई और अपना टिकट कटता देख केदार हाजरा ने झामुमो का दामन थाम लिया. जेएमएम ने केदार हाजरा और बीजेपी ने मंजू देवी को उम्मीदवार बनाया है और यहाँ इन्हीं दोनों में सीधी टक्कर दिख रही है.
- डुमरी : डुमरी का चुनाव भी इस बार काफी दिलचस्प हो गया है. वजह है झारखण्ड की राजनीति का नया स्टार जयराम महतो. जयराम महतो इस बार बेरमो के अलावा डुमरी से भी चुनाव लड़ रहे हैं. डुमरी में जेएमएम की प्रत्याशी बेबी देवी और आजसू पार्टी की यशोदा देवी भी टक्कर में हैं. 2023 के उपचुनाव में बेबी देवी ने यहां से जीत हासिल की थी। इससे पहले जेएमएम के वरिष्ठ नेता रहे जगरनाथ महतो चार बार यहां से चुनाव जीत चुके हैं।
- बगोदर : बगोदर को भाकपा माले का गढ़ माना जाता है. माले के विनोद सिंह यहाँ से विधायक भी हैं और इस बार भी माले के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं. यहाँ भाजपा ने अपने पुराने चेहरे नागेन्द्र महतो पर ही एक बार फिर दांव खेला है. परिस्थितयां बता रही हैं कि यहाँ भाकपा माले के विनोद सिंह और भाजपा के मागेन्द्र महतो के बीच सीधी टक्कर है. इन दोनों के अलावा इस सीट से कोई और कद्दावर प्रत्याशी नहीं दिख रहा है.
Comments are closed.