हीटवेव की चपेट में झारखण्ड, अभी कुछ दिनों तक राहत मिलने की संभावना नहीं
प्रदेश के सभी जिलों में पड़ रही भीषण गर्मी, पारा 42 के पार
राँची : झारखंड की राजधानी रांची समेत लगभग पूरा राज्य इन दिनों भीषण गर्मी की मार झेल रहा है। झारखण्ड के 20 जिले हीटवेव की चपेट में हैं और अभी आने वाले कुछ दिनों तक राहत मिलने की संभावना भी नहीं है। इस वर्ष ये तीसरी बार है, जब झारखण्ड में पारा 40 डिग्री के पार है और गर्म हवा के थपेड़ों ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। मौसम विभाग के मुताबिक 15 जून तक राज्य में संथाल परगना में मानसून एंट्री करेगा और तब तक पूरे राज्य के लोगों को हीटवेव की मार झेलनी पड़ेगी।
रविवार को सिमडेगा 39.3 डिग्री, साहिबगंज 38.1 डिग्री, पाकुड़ 38.1 डिग्री और लोहरदगा 39.6 डिग्री को छोड़ दें तो बाकी जिलों में तापमान 42 डिग्री के पार रहा। झुलसाती गर्मी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले एक पखवाड़े से डाल्टनगंज का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के आसपास ही मंडरा रहा है। मौसम विज्ञान केंद्र रांची के अनुसार 15 जून तक राज्य में संथाल परगना क्षेत्र से मानसून का प्रवेश हो सकता है।
लिहाजा, तब तक रांची समेत पूरे राज्य के लोगों को हीटवेव को झेलना होगा। केंद्र के पूर्वानुमान की माने तो मानसून केरल में प्रवेश कर पूर्वोतर भारत की ओर लगातार बढ़ रहा है। 10 जून को गढ़वा और पलामू में हीटवेव का सर्वाधिक असर देखने को मिलेगा, इसे लेकर आरेंज अलर्ट जारी किया गया है। वहीं 10 जून से 12 जून तक हजारीबाग, कोडरमा, चतरा, देवघर, गोड्डा, गिरिडीह, दुमका, गुमला, खूंटी, सरायकेला खरसावां, सिमडेगा, और पूर्वी व पश्चिमी सिंहभूम में हीटवेव का असर देखने को मिलेगा। इन जिलों के लिए भी मौसम विभाग ने येलो अलर्ट जारी किया है साथ ही सम्भावना जताई है कि इन सभी जिलों में यह स्थिति 13 जून तक बनी रहेगी।
आमतौर पर बंगाल की खाड़ी के रास्ते मानसून केरल होते हुए देश के तटीय क्षेत्रों में प्रवेश करता है। 1 जून तक मानसून केरल प्रवेश कर चुका है। झारखंड में पिछले वर्ष की तुलना में इस बार मानसून तीन दिनों पूर्व प्रवेश करेगा। हालांकि सामान्यतः झारखंड में 12 जून तक मानसून प्रवेश का पूर्वानुमान किया जाता है, पर इस बार इसके झारखण्ड में 15 जून तक प्रवेश करने की सम्भावना है। उससे एक-दो दिनों पूर्व प्री-मानसून बारिश हो सकती है।
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि मध्य व उत्तर पश्चिमी हिस्सों में देश के पश्चिमी हिस्से से आ रही गर्म हवाओं के कारण क्लाउड बैंड का असर कम हो जाता है। इन हिस्सों में लगातार सिमट रही हरियाली के कारण क्लाउड बैंड सही तरीके से नहीं बन पाता है। यदि बनता भी है तो हरे भरे क्षेत्रों में जाकर बरसता है। विकास के नाम पर हरे छायादार पेड़ों की अंधाधुंध कटाई ने झारखण्ड के इन जिलों ऐसे हालात पैदा कर दिए हैं कि यहाँ लगातार भीषण गर्मी पड़ने लगी है।
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