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कोडरमा लोकसभा क्षेत्र के किसी भी विधानसभा में एक लाख के आंकड़े को नही छु पाये माले के विनोद सिंह

बगोदर व गांडेय में भी अन्नपूर्णा देवी रही आगे, गांडेय में कल्पना सोरेन को मिले करीब एक लाख दस हाजर वोट

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रिंकेश कुमार
गिरिडीह। लोस चुनाव में केन्द्रीय मंत्री और कोडरमा की भाजपा सांसद अन्नपूर्णा देवी ने दुसरी बार तीन लाख 54 हजार के एक बड़े अंतराल से जीत हासिल कर कोडरमा लोकसभा से हैट्रिक की है। वहीं माले के विनोद सिंह दुसरे स्थान पर रहे। जबकि झामुमो से निलंबित निर्दलीय प्रत्याशी जयप्रकाश वर्मा का हाल सबसे खराब रहा। वे अपनी जमानत भी नही बचा पाये। हालांकि इन सबके बीच जमीन से जुड़े बगोदर विधायक माले के विनोद सिंह को इंडी गठबंधन का किस हद तक साथ मिला है ये तो विधानसभा मिले वोट से ही अंदाजा लगाया जा सकता है। विनोद सिंह अपने विधानसभा बगोदर क्षेत्र के साथ-साथ गांडेय में भी एक लाख के आंकड़े को नही छु पाये। जबकि इसी गांडेय विधानसभा उपचुनाव में इंडी गठबंधन की प्रत्याशी कल्पना सोरेन को एक लाख 9 हजार 827 हजार वोट मिले है। जबकि विनोद सिंह को सिर्फ 82 हजार 251 वोट ही मिले है। वहीं अगर केन्द्रीय मंत्री की बात करें तो उन्हें सभी विधानसभा में एक लाख से अधिक वोट प्राप्त हुए है।

आंकड़ो के अनुसार अन्नपूर्णा देवी को कुल वोट 7 लाख 91 हजार 657 वोट मिले। जबकि माले के विनोद सिंह को 4 लाख 14 हजार 643 ही मिला। रिपोर्ट के अनुसार कोडरमा विस में ही अन्नपूर्णा देवी को 1 लाख 59 हजार 250 वोट मिले है, वहीं विनोद सिंह को महज 62 हजार 141 वोट हासिल हुए। हजारीबाग के बरकट्ठा विस की बात करे तो केन्द्रीय अन्नपूर्णा देवी ने यहां भी बाजी मारी, बरकट्ठा में केन्द्रीय मंत्री को 1 लाख 52 हजार 750 वोट मिले। वहीं विनोद सिंह को सिर्फ 55 हजार 874 वोट मिले है। जमुआ मेें अन्नपूर्णा देवी को 1 लाख 15 हजार 578 वोट मिले, जबकि विनोद सिंह को सिर्फ 61 हजार 112 और धनवार में अन्नपूर्णा देवी को 1 लाख 17 हजार 425 वोट मिले, वहीं विनोद सिंह को 73 हजार 338 वोट मिले है। लेकिन अपने गढ़ बगोदर में माले की हालत ऐसी होगी कि ये संभवतः बगोदर विधायक विनोद सिंह ने भी कयास नही लगाया होगा। बगोदर में उन्हें 76 हजार 229 वोट ही मिले। जबकि इसी बगोदर से केन्द्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी को सबसे अधिक 1 लाख 35 हजार 480 वोट हासिल हुआ है।

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वहीं निर्दलीय प्रत्याशी जयप्रकाश वर्मा की बात करे तो जयप्रकाश वर्मा को कुल 23 हजार 233 वोट मिला। जिससे स्पष्ट होता है कि जयप्रकाश वर्मा का जातीय समीकरण पूरी तरह से फेल हो गया। उन्हें अपनी जाति कुशवाहा समाज का भी समर्थन नहीं मिला। जिसके बलबूते वे चुनाव लड़ने का दावा कर रहे थे। हालांकि यहां गौर करने वाली बात तो यह है कि चुनाव आयोग के ऑफिशियल वेबसाईट में नोटा को भी 42 हजार 152 वोट मिले है।

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