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सावन की सोमवारी: आत्मिक जागरण और सामाजिक उत्थान का पवित्र अवसर

युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने बताया सावन की सोमवारी का असली महत्त्व और उद्देश्य

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नव बिहान डेस्क : सावन का पवित्र महीना भगवान शिव की भक्ति और आत्म-चिंतन का अनमोल समय है। इस महीने की प्रत्येक सोमवारी का विशेष आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व है। युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी, जिन्होंने अखिल विश्व गायत्री परिवार की स्थापना की, ने सावन की सोमवारी को आत्मिक शुद्धि, समाज सेवा, और पर्यावरण संरक्षण का सुअवसर बताया है। उनके विचारों के आधार पर, आइए जानें इस पवित्र अवसर का महत्व और इसे सार्थक बनाने के उपाय।

आत्मिक जागरण का अवसर

युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने बताया सावन की सोमवारी का असली महत्त्व और उद्देश्य
युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने बताया सावन की सोमवारी का असली महत्त्व और उद्देश्य

 

पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी का मानना था कि सावन की सोमवारी पर भगवान शिव का जलाभिषेक, “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप, और गायत्री मंत्र की साधना आत्मा को जागृत करती है। वे कहते थे, “यह समय है अपने भीतर की चेतना को प्रज्वलित करने का, जब हम नकारात्मक विचारों को जलाकर आत्मिक शुद्धि प्राप्त कर सकते हैं।” सावन की सोमवारी पर व्रत और उपवास न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और वैचारिक शुद्धि का भी साधन है।

सेवा और साधना का समन्वय

आचार्य जी के अनुसार, सच्ची भक्ति वह है जो समाज की सेवा में समर्पित हो। वे कहते थे, “सावन की सोमवारी पर भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ जरूरतमंदों की सहायता करें।” इस दिन दान-पुण्य, सामाजिक कार्य, और सामूहिक पूजा-यज्ञ समाज में एकता और सकारात्मकता का संचार करते हैं। शांतिकुंज में उनके द्वारा शुरू किए गए सामूहिक यज्ञ और सामाजिक अभियान आज भी प्रेरणा देते हैं।

संयम और प्रकृति संरक्षण

संयम और प्रकृति संरक्षण
संयम और प्रकृति संरक्षण

 

पंडित जी ने सावन के महीने में संयम और पर्यावरण संरक्षण को विशेष महत्व दिया। वे कहते थे, “प्रकृति की सेवा भगवान शिव की सच्ची पूजा है।” सावन में वृक्षारोपण, गंगा स्वच्छता जैसे अभियान, और निर्मल गंगा जन अभियान जैसे उनके प्रयास हमें पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का संदेश देते हैं। सावन की सोमवारी पर इन कार्यों को अपनाकर हम अपने जीवन को और अधिक सार्थक बना सकते हैं।

सामाजिक उत्थान का संकल्प

आचार्य जी का दर्शन था, “हम बदलेंगे, युग बदलेगा।” सावन की सोमवारी पर हमें न केवल अपनी आत्मिक उन्नति, बल्कि समाज के उत्थान के लिए भी संकल्प लेना चाहिए। सामूहिक पूजा, यज्ञ, और सामाजिक कार्यों के माध्यम से हम सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। उनके शब्दों में, “सावन की सोमवारी वह समय है, जब हम भगवान शिव की कृपा से अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं।”

सावन की सोमवारी को पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी के विचारों के आधार पर साधना, सेवा, और संयम का संगम बनाएं। इस पवित्र अवसर पर भगवान शिव की भक्ति के साथ-साथ समाज और प्रकृति की सेवा का संकल्प लें। आइए, उनके दर्शन को अपनाकर अपने और समाज के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएं।

हर हर महादेव!

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