रेडियो के स्वर्ण युग का अंत, अमीन सयानी का 91 वर्ष की आयु में निधन
हमेशा – हमेशा के लिए खामोश हो गई वो आवाज़, जिसको सुनने का बेसब्री से होता था इंतज़ार
रांची : मनोरंजन जगत के लिए एक बेहद दुखद खबर है। प्रतिष्ठित रेडियो प्रस्तोता, पत्रकार अमीन सयानी का 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उनके बेटे राजिल सयानी ने इस खबर की पुष्टि करते हुए कहा कि अमीन सयानी ने कल रात अस्पताल में अंतिम सांस ली। निधन का कारण हृदय गति रुकना बताया गया है।
राजिल ने कहा, “वह अस्पताल में थे और कल रात उनका निधन हो गया, हम जल्द ही अंतिम संस्कार पर एक बयान जारी करेंगे।” अमीन सयानी के साथ ही रेडियो के उस स्वर्णिम युग का भी अंत हो गया है, जब रेडियो हरेक भारतीय के जीवन का अभिन्न हिस्सा था और अमीन सयानी की आवाज़ सबों के दिलों में बसती थी या यूँ कहें कि सबों के दिलों पर राज करती थी।
‘गीतमाला’ के लिए प्रसिद्ध अमीन सयानी एक बहुभाषी परिवार से थे और 21 दिसंबर, 1932 को मुंबई में उनका जन्म हुआ था। सयानी का शानदार करियर बहुभाषी प्रसारण तक फैला रहा, जिसमें उनका अभूतपूर्व शो 1952 से 2003 तक प्रसारित हुआ। 54,000 रेडियो कार्यक्रम और उनकी आवाज़ और कार्यक्रमों का वैश्विक प्रभाव उनकी स्थायी विरासत हैं।
उन्होंने अपना करियर एक अंग्रेजी प्रसारक के रूप में शुरू किया लेकिन आजादी के बाद उन्होंने हिंदी की ओर रुख किया। सयानी दिसंबर 1952 में प्रसारित एक अभूतपूर्व शो ‘गीतमाला’ से मशहूर हुए। चार्ट-टॉपिंग हिट्स वाला यह कार्यक्रम दक्षिण एशिया में एक सांस्कृतिक घटना बन गया। इसकी अद्वितीय सफलता के कारण इसका प्रसारण लंबे समय तक, 1952 से 1994 तक चला, इसके बाद 2000-2001 और 2001-2003 में इसके नाम में मामूली बदलाव के साथ इसका पुनर्प्रसारण हुआ।
‘गीतमाला’ के साथ अमीन भारत के पहले मेजबान बन गए, जिन्होंने उभरते संगीत परिदृश्य के बारे में अपनी गहरी समझ को प्रदर्शित करते हुए एक संपूर्ण शो को क्यूरेट किया और प्रस्तुत किया। शो की सफलता ने एक रेडियो प्रस्तोता के रूप में सयानी की स्थिति को मजबूत कर दिया।