मूलभूत सुविधा के अभाव में लक्ष्मीबथान गांव में गई एक ओर आदिवासी प्रसूता की जान
नेताओं व अधिकारियों के आश्वासन के बाद भी नही हुआ लक्ष्मीबथान का विकास, पांच साल पूर्व भी इलाज के लिए खाट में टांग कर ले जाने के क्रम में हुई थी मौत
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गिरिडीह। जिले के तिसरी प्रखंड का लक्ष्मीबथान गांव में पिछले पांच वर्षों से मूलभूत सुविधाओं का अभाव को लेकर सुर्खियों में रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों के अलावे कई बड़े नेता तक इस गांव में पहुंच कर विकास की बात किए, लेकिन अब तक यह गांव का विकास तो दूर मूलभूत सुविधाओं को भी पूरा नही किया गया है। जिसका खामियाजा यहां के अति पिछड़े आदिवासियों को भुगतना पड़ रहा है। मंगलवार को भी गांव की एक ओर आदिवासी प्रसूता महिला सिस्टम की नाकामयाबी और नेताओं के गहरी नींद के कारण मौत की आगोश में समां गई।
विदित हो कि लगभग पांच वर्ष पुर लक्ष्मी बथान निवासी सुरजी मरांडी को प्रसव पीड़ा हुआ था, जिसके बाद सड़क नहीं होने के कारण और नजदीक में किसी चिकित्सा कर्मी के नहीं होने के कारण सुर्जी मरांडी को ग्रामीण खाट पर टांग कर गावां इलाज के लिए ले जाने के क्रम में उसकी मौत हो गई थी। खबर मीडिया में आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, पूर्व विधायक राजकुमार यादव, पूर्व विधायक निजामुद्दीन अंसारी समेत विभाग के कई वरीय पदाधिकारी उक्त गांव पहुंचे और मृतक के परिजनों को सांत्वना दिए। साथ ही गांव का जल्द ही विकास करने और मूलभूत सुविधाओं का लाभ दिलाने का वादा कर चले गए। नेताओं व अधिकारियों के आश्वासन के बाद भी इलाके का विकास तो नही हुआ, लेकिन तालों सोरेन की पत्नी आदिवासी प्रसूता महिला पानो हेंब्रम की मौत बच्चे को जन्म देने के बाद सड़क और इलाज के अभाव में हो गई।
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