मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर साहित्य संगोष्ठी का आयोजन
आम जन की पीड़ा को स्वर देने वाली लेखनी को दी गई श्रद्धांजलि


गिरिडीह : प्रेमचंद की रचनाएं केवल साहित्य नहीं, बल्कि समाज का आईना हैं। इसी भावना के साथ रविवार को बंरगड़ा स्थित डॉ. छोटु प्रसाद ‘चन्द्रप्रभ’ के आवास सुमन वाटिका में हिंदी साहित्य के महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती श्रद्धा और गरिमा के साथ मनाई गई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार उदय शंकर उपाध्याय ने की। उन्होंने कहा, “प्रेमचंद का व्यक्तित्व जितना सहज और सरल था, उतनी ही गहराई और संवेदनशीलता उनकी रचनाओं में मिलती है। उनके पात्र इतने जीवंत होते हैं कि पाठक को लगता है जैसे वे उसके ही आसपास के लोग हों।”

रंगकर्मी बद्री दास ने प्रेमचंद की कहानियों का उल्लेख करते हुए कहा, “वे समाज की विषमताओं पर न केवल चोट करते हैं, बल्कि मानव मन की गहराइयों तक जाकर उसे साहित्य में उकेरते हैं।”

जन संस्कृति मंच के शंकर पाण्डेय ने प्रेमचंद के सामाजिक सरोकारों की चर्चा करते हुए कहा, “उनकी लेखनी में भारतीय समाज के सभी वर्गों की आवाज है। यही कारण है कि प्रेमचंद आज भी जनमानस के लेखक बने हुए हैं।”
साहित्य प्रेमी प्रभाकर ने कहा, “प्रेमचंद को पढ़े बिना हिंदी साहित्य की आत्मा को समझना संभव नहीं है। उनकी कालजयी रचनाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं।”
नवांकुर कवि और लेखक अनंत शक्ति ने प्रेमचंद की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए कहा, “सामाजिक असमानताओं और आमजन की पीड़ा को अभिव्यक्त करने में प्रेमचंद का कोई सानी नहीं। वे शब्दों के माध्यम से समाज की नब्ज पकड़ने वाले अद्वितीय लेखक थे।”
कार्यक्रम के अंत में प्रेमचंद की चर्चित कहानियों के अंशों का पाठ किया गया और उनके साहित्यिक योगदान को नमन करते हुए दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस कार्यक्रम में रितेश सराक, सुनील मंथन शर्मा, निशु सहित कई साहित्य प्रेमियों ने शिरकत की.

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