गुरु पूर्णिमा पर्व: गुरु-शिष्य परंपरा के प्रति श्रद्धा, सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर
भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक परंपराओं का महत्वपूर्ण पर्व है गुरू पूर्णिमा


नव बिहान डेस्क : गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक परंपराओं में एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जो आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह दिन गुरु-शिष्य परंपरा के प्रति श्रद्धा, सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। हिंदू, जैन और बौद्ध धर्मों में इस पर्व का विशेष महत्व है, क्योंकि यह न केवल आध्यात्मिक गुरुओं को समर्पित है, बल्कि जीवन में ज्ञान, नैतिकता और मार्गदर्शन प्रदान करने वाले प्रत्येक शिक्षक के प्रति आभार प्रकट करने का अवसर भी है।
गुरु पूर्णिमा का महत्व

गुरु-शिष्य परंपरा का सम्मान: भारतीय संस्कृति में गुरु को ईश्वर के समान माना जाता है। गुरु वह मार्गदर्शक है जो अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है। गुरु पूर्णिमा इस पवित्र रिश्ते को सुदृढ़ करने और गुरु के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का दिन है।

आध्यात्मिक और शैक्षिक प्रेरणा: यह पर्व शिष्यों को अपने गुरु के उपदेशों को आत्मसात करने और जीवन में सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। यह आत्म-मूल्यांकन और आत्म-सुधार का भी अवसर है।
वेद व्यास का सम्मान
गुरु पूर्णिमा को ‘व्यास पूर्णिमा’ भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। वे वेदों के संकलनकर्ता और महाभारत जैसे महान ग्रंथों के रचयिता थे। इस दिन उनके योगदान को याद किया जाता है।
बौद्ध और जैन परंपराओं में महत्व
बौद्ध धर्म में इस दिन को भगवान बुद्ध द्वारा अपने पहले उपदेश ‘धर्मचक्र प्रवर्तन’ की स्मृति के रूप में मनाया जाता है। जैन धर्म में भी गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है।
गुरु पूर्णिमा का उद्देश्य – ज्ञान के प्रति समर्पण

गुरु पूर्णिमा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान की महत्ता को समझना और गुरु के प्रति निष्ठा को मजबूत करना है। यह हमें यह सिखाता है कि सच्चा ज्ञान ही जीवन को सार्थक बनाता है। इस पर्व का उद्देश्य उन सभी शिक्षकों और मार्गदर्शकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना है, जिन्होंने हमें जीवन में सही दिशा दिखाई। यह हमें विनम्रता और आदर की भावना सिखाता है। गुरु पूर्णिमा का पर्व शिष्यों को आत्म-चिंतन और आत्मिक विकास के लिए प्रेरित करता है। यह हमें अपने लक्ष्यों को पुनर्मूल्यांकन करने और गुरु के मार्गदर्शन में जीवन को बेहतर बनाने का अवसर देता है। इतना ही नहीं, यह पर्व विभिन्न धर्मों और समुदायों को एक मंच पर लाता है, जहां सभी लोग गुरु-शिष्य परंपरा के महत्व को समझते हुए एकजुट होते हैं।
सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्सव है गुरू पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्सव है जो हमें जीवन में गुरु की महत्ता को समझने और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर देता है। यह पर्व हमें सिखाता है कि गुरु का मार्गदर्शन ही वह दीपक है जो जीवन के अंधेरे को दूर करता है। इस दिन हमें अपने गुरुओं के प्रति श्रद्धा और समर्पण के साथ-साथ उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।
“गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वर:।
गुरु: साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नम:।।”

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