Nav Bihan
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गिरिडीह के +2 हाई स्कूल में रिजल्ट के लिए पैसे की मांग? साख के चक्कर में शिक्षा से खिलवाड़

छात्रों के गंभीर आरोप, हेडमास्टर का चौंकाने वाला खुलासा; क्या रैंकिंग के लिए हो रहा है भ्रष्टाचार?

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गिरिडीह/झारखंड: झारखंड के गिरिडीह जिले के +2 हाई स्कूल, अजीडीह, में एक ऐसा मामला सामने आया है, जो शिक्षा व्यवस्था की साख पर सवाल खड़े करता है। 12वीं कक्षा के कुछ छात्रों ने स्कूल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका दावा है कि उन्हें बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट हासिल करने के लिए 500 रुपये की मांग की गई। यह मामला तब और गंभीर हो गया, जब स्कूल के हेडमास्टर डेगन रविदास ने ऑफ-द-रिकॉर्ड बातचीत में चौंकाने वाले खुलासे किए।

छात्रों का आरोप: रिजल्ट के लिए पैसे की उगाही

गिरिडीह के +2 हाई स्कूल में रिजल्ट के लिए पैसे की मांग?
गिरिडीह के +2 हाई स्कूल में रिजल्ट के लिए पैसे की मांग?

 

छात्रों का कहना है कि स्कूल प्रशासन ने स्पष्ट रूप से कहा कि बिना 500 रुपये जमा किए उनका रिजल्ट नहीं दिया जाएगा। एक छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हमें बोला गया कि अगर पैसे नहीं देंगे, तो रिजल्ट रोक लिया जाएगा। कुछ साथियों ने प्रैक्टिकल एग्जाम भी ठीक से नहीं दिया था, फिर भी उन्हें पास कर दिया गया, लेकिन इसके लिए पैसे मांगे गए।”

हेडमास्टर का खुलासा: साख और रैंकिंग का खेल

जब इस मामले में हेडमास्टर डेगन रविदास से सवाल किया गया, तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी कहने से साफ़ इंकार कर दिया। हालांकि, कैमरे के पीछे उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ छात्रों ने प्रैक्टिकल परीक्षा नहीं दी थी। कायदे से इन्हें फेल करना चाहिए था, लेकिन स्कूल की साख और जिले की रैंकिंग को बचाने के लिए उन्हें पास कर दिया गया। हालाँकि उन्होंने छात्रों से रुपये मांगने की बात से साफ़ इनकार किया. पर जिले की रैंकिंग बचाने के लिए छात्रों को प्रैक्टिकल की परीक्षा दिए बिना पास कर देने की बात यदि सही है तो यह न केवल स्कूल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की पारदर्शिता पर भी संदेह पैदा करता है।

क्या शिक्षा है ज़रूरी या रैंकिंग का खेल है मजबूरी?

यह मामला सिर्फ एक स्कूल तक सीमित नहीं है। अगर ये आरोप सत्य हैं, तो यह शिक्षा विभाग के भीतर गहरे भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। सवाल यह है कि क्या “रैंकिंग” और साख के चक्कर में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है? क्या “रैंकिंग” के चक्कर में स्कूलों में जैसे-तैसे सभी को पास करने का चलन बढ़ रहा है? और सबसे बड़ा सवाल—क्या शिक्षा अब केवल “रैंकिंग” का खतरनाक खेल बनकर रह गई है?

क्या कहते हैं अधिकारी

जिला शिक्षा पदाधिकारी वसीम अहमद
जिला शिक्षा पदाधिकारी वसीम अहमद

 

इस मामले में गिरिडीह के जिला शिक्षा पदाधिकारी वसीम अहमद से बात की गई तो उन्होंने कहा कि रुपये मांगने की बात अगर सही है तो ये काफी गंभीर मामला है और वे इसकी जाँच करवायेंगे। जांच में आरोप यदि सही पाए गए तो निश्चित कार्रवाई की जाएगी। जहां तक रैंकिंग के लिए गुणवत्ता से समझौते की बात है तो ऐसा कोई भी दिशा निर्देश किसी भी स्कूल को नहीं दिया गया है। वे इस मामले की भी काफी गंभीरता से जाँच करेंगे।

आगे क्या?

यह मामला शिक्षा विभाग और प्रशासन के लिए एक बड़ा सवाल बन गया है। क्या इस मामले की निष्पक्ष जांच होगी? क्या दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी? और सबसे अहम, क्या बच्चों का भविष्य इस तरह की सौदेबाजी से मुक्त हो पाएगा? हमारी टीम इस मामले की गहराई से पड़ताल कर रही है और शिक्षा विभाग से जवाब मांगेगी। पाठकों से अनुरोध है कि अगर उनके पास इस मामले से जुड़ी कोई जानकारी हो, तो वे हमारे साथ साझा करें।

इस एक्सक्लूसिव खबर का वीडियो देखने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें

https://youtu.be/-MtBMo55CZU

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