एंटीबायोटिक दवाओं के नाम पर कहीं आप भी तो नहीं खा रहे टैल्कम पाउडर, एफडीए की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
भारत के सरकारी अस्पतालों में आपूर्ति की गई नकली दवा, नागपुर में सप्लाई की गई एंटीबायोटिक्स में स्टार्च के साथ मिलाया गया टैल्कम पाउडर


राँची : भारत के सरकारी अस्पतालों को आपूर्ति की जाने वाली एंटीबायोटिक दवाओं को लेकर एक सनसनीखेज़ खुलासा हुआ है। खुलासा ये है कि एंटीबायोटिक दवाओं में स्टार्च के साथ मिलाए गए टैल्कम पाउडर का इस्तेमाल किया गया और इन दवाओं को भारत के कई सरकारी अस्पतालों में सप्लाई किया गया। WIONवेब पोर्टल WION न्यूज़ के अनुसार पिछले साल उजागर हुए नकली दवा आपूर्ति मामले में दायर 1,200 पन्नों के आरोपपत्र में खुलासा हुआ है कि नागपुर में सरकारी अस्पतालों को वितरित किए गए एंटीबायोटिक्स में स्टार्च के साथ मिलाए गए टैल्कम पाउडर के अलावा और कुछ नहीं था।
आरोपपत्र के अनुसार, ये नकली एंटीबायोटिक्स हरिद्वार स्थित पशु चिकित्सा की दवाओं की प्रयोगशाला में बनाए गए थे। इसमें एक और चौंकाने वाला खुलासा ये है कि इन नकली दवाओं की आपूर्ति सिर्फ महाराष्ट्र में ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और झारखंड के अस्पतालों में भी की गई थी। इस गोरखधंधे में एक बहुत बड़ा संगठित गिरोह काम कर रहा है और जिसमे भारत के विभिन्न इलाकों के लोग भी शामिल हैं। सूत्रों की मानें तो नकली दवाओं के इस कारोबार में गिरिडीह के भी कुछ सफेदपोशों के शामिल होने की सम्भावना है। इन दवाओं को खरीदने के लिए पैसा हवाला चैनलों से आया था जिसका इस्तेमाल इस रैकेट ने मुंबई से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में सैकड़ों हज़ार डॉलर ट्रांसफर करने के लिए किया था।
इस अवैध कारोबार में हेमंत मुले नामक व्यक्ति को मुख्य अपराधी के रूप में चिन्हित किया गया है क्योंकि उसने नकली दवाओं की आपूर्ति के लिए निविदा में भाग लिया था। उसके अलावा, मिहिर त्रिवेदी और विजय चौधरी पर भी आरोप लगाए गए हैं, जिनमें विजय चौधरी पहले से ही धोखाधड़ी के एक अन्य मामले में जेल में है। चौधरी ने ही बाद में सहारनपुर के रॉबिन तनेजा उर्फ हिमांशु और रमन तनेजा का नाम लिया था।
इस मामले की छान-बीन कर रहे आईपीएस अधिकारी अनिल म्हास्के ने कहा, “तनेजा भाइयों द्वारा अमित धीमान का नाम बताए जाने के बाद हम हरिद्वार की पशु चिकित्सा प्रयोगशाला में पहुँचे। उत्तराखंड एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद धीमान जेल में था। बाद में उसे इस मामले में भी गिरफ्तार किया गया।”
कैसे हुआ नकली दवा मामले का भांडाफोड़ ?
महाराष्ट्र राज्य के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने दिसंबर 2023 में इस रैकेट का भांडाफोड़ किया, जब इंदिरा गांधी सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (आईजीजीएमसीएच) में नागपुर सिविल सर्जन के अधीन दवा भंडार से लगभग 21,600 सिप्रोफ्लोक्सासिन 500 मिलीग्राम की गोलियाँ जब्त की गईं।
एफडीए ने उस समय कहा था, “इन दवाओं के सैम्पल परीक्षण के लिए सरकारी प्रयोगशाला में भेजे गए थे, और परिणामों ने गोलियों में औषधीय तत्व की पूरी तरह से अनुपस्थिति का संकेत दिया। इस खुलासे के बाद हमने आईजीजीएमसी में सरकारी स्टोर पर छापा मारा और 21,600 गोलियों का स्टॉक जब्त किया।”

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